
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय जेल में बंद हैं और कई गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इन मामलों में भ्रष्टाचार और राष्ट्र-विरोधी कृत्य के आरोप प्रमुख हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख अगस्त 2023 से कैद हैं, और इस दौरान उन पर कई फैसले सुनाए गए हैं, जबकि कई अन्य मामलों में सुनवाई जारी है। जेल में उनकी हत्या की कुछ अनवरिफाइड खबरें सामने आई हैं, लेकिन इन्हें आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं मिली है।
**अल-क़ादिर ट्रस्ट / भूमि गबन मामला**
इस साल की शुरुआत में, एक बड़े फैसले में, एक पाकिस्तानी अदालत ने अल-क़ादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में इमरान खान को 14 साल की जेल की सजा सुनाई। उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भी इसी मामले में दोषी ठहराया गया था। अधिकारियों का आरोप है कि दंपति ने एक रियल-एस्टेट टाइकून द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी धर्मार्थ ट्रस्ट को जमीन हस्तांतरित करने के बाद वित्तीय लाभ उठाया। यह फैसला उस रावलपिंडी जेल परिसर के अंदर सुनाया गया जहां खान हिरासत में हैं।
**सरकारी रहस्य (सिफर) मामला**
इमरान खान को इससे पहले हाई-प्रोफाइल सरकारी रहस्य मामले में 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में इस्लामाबाद भेजे गए एक वर्गीकृत राजनयिक केबल के दुरुपयोग का आरोप था। अभियोजन पक्ष का तर्क था कि उन्होंने गोपनीय दस्तावेजों का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया। बाद में, एक अदालत ने इस सजा को पलट दिया, लेकिन यह मामला राजनीतिक रूप से विवादास्पद बना हुआ है और कानूनी एवं संसदीय चर्चाओं में सामने आता रहता है।
**जीएचक्यू / 9 मई हिंसा से संबंधित आरोप**
9 मई, 2023 को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, जिसमें पाकिस्तान के सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर हमला भी शामिल था, खान पर अशांति भड़काने और सैन्य प्रतिष्ठान को चुनौती देने के लिए अपने समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया गया था। बताया जाता है कि अभियोजन पक्ष इस मामले में अपनी दलीलें पूरी करने के करीब है, जिससे कानूनी परिणाम और बढ़ सकते हैं।
**अन्य कानूनी कार्यवाही**
इन प्रमुख मामलों के अलावा, खान प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से जुड़े कथित भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित दर्जनों अन्य आरोपों का सामना करना जारी रखे हुए हैं। उनकी कैद के दौरान भी नए मामले सामने आते रहे हैं, जिससे वे एक जटिल कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं।
**राजनीतिक प्रभाव और बचाव**
खान और उनकी पार्टी का कहना है कि ये सभी मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और उन्हें चुनावी राजनीति से दूर करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। पीटीआई का तर्क है कि उन्हें नियमित कानूनी पहुंच से वंचित करना, मीडिया कवरेज को प्रतिबंधित करना और जेल में ही मुकदमे चलाना शक्तिशाली संस्थानों द्वारा राजनीतिक साजिश का संकेत देता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार और न्यायपालिका का कहना है कि देश के कानूनों का पालन किया जा रहा है और कोई भी व्यक्ति, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, जवाबदेही से ऊपर नहीं है।
**आगे क्या होगा?**
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अल-क़ादिर ट्रस्ट की सजा अब खान की राजनीतिक वापसी में सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि इसमें लंबी जेल की अवधि और सार्वजनिक पद से अयोग्यता शामिल है। हालांकि, चल रही अपीलें, बदलते न्यायिक निर्णय और बढ़ता जन दबाव का मतलब है कि उनका कानूनी भविष्य अभी तय नहीं हुआ है।
उनके समर्थकों के लिए, इमरान खान आज भी विरोध का प्रतीक बने हुए हैं। उनके आलोचकों के लिए, उन्हें सत्ता में रहते हुए उनके कार्यों के परिणामों का सामना करना चाहिए। पाकिस्तान के लिए, दांव बहुत ऊंचे हैं, क्योंकि ये मामले देश में शासन, स्थिरता और नागरिक-सैन्य संबंधों को प्रभावित करना जारी रखते हैं।





