आर्मेनिया और भारत के बीच 3.5 से 4 अरब डॉलर का एक बड़ा रक्षा सौदा होने वाला है, जो दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भारत की सामरिक उपस्थिति को मजबूत करेगा। यह सौदा अज़रबैजान के साथ चल रहे तनाव के बीच हुआ है। इस महत्वपूर्ण समझौते में उन्नत वायु रक्षा प्रणाली, मिसाइल सिस्टम और तोपें शामिल होंगी।
इस सौदे का मुख्य आकर्षण आकाश-एनजी मिसाइल प्रणाली है। यह प्रणाली अपनी बेहतर इंटरसेप्शन क्षमताओं और लंबी दूरी के लिए जानी जाती है, जो पिछले संस्करणों से काफी उन्नत है। भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंधूर’ के दौरान इसने सैन्य पर्यवेक्षकों को काफी प्रभावित किया था। आकाश-एनजी, आर्मेनिया के बहु-स्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की उम्मीद है।
आर्मेनिया भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल में भी गहरी रुचि दिखा रहा है। यह वही मिसाइल है जिसने भारत की पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान 11 पाकिस्तानी वायु ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह सौदा न केवल आर्मेनिया की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि भारत के रक्षा निर्यात लक्ष्यों और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा देगा।
2022 से भारत आर्मेनिया को उन्नत हथियार सप्लाई कर रहा है, जिसमें पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम, कोंकुर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, 155mm हॉवित्जर गन, एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), आकाश और आकाश-एनजी वायु रक्षा बैटरी, एंटी-ड्रोन सिस्टम और छोटे हथियार शामिल हैं।
भारत और आर्मेनिया ब्रह्मोस मिसाइल के सह-उत्पादन के लिए भी बातचीत कर रहे हैं। इस समझौते के तहत, आर्मेनिया में भी कुछ घटकों का निर्माण संभव हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सौदा आर्मेनिया की सैन्य शक्ति को मजबूत करने के साथ-साथ इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को भी बढ़ाएगा।
आर्मेनिया हाल के वर्षों में भारत के प्रमुख रक्षा खरीदारों में से एक बनकर उभरा है। 2023 से येरेवान भारतीय हथियारों की खरीद कर रहा है। भारत ने 2023 में आर्मेनिया में अपना पहला रक्षा अटैची नियुक्त किया था, और अप्रैल 2024 में नई दिल्ली ने काकेशस क्षेत्र में अपनी पहली नियुक्ति करते हुए आर्मेनिया में अपना रक्षा अटैची तैनात किया।
इस साझेदारी की शुरुआत 2020 के दशक की शुरुआत में 40 मिलियन डॉलर के स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार सौदे से हुई थी। यह प्रणाली अज़रबैजान के खिलाफ प्रभावी साबित हुई और इसने पोलैंड की तुलनीय प्रणालियों को भी पीछे छोड़ दिया।
ऐतिहासिक रूप से पुरानी सोवियत-युग के हथियारों पर निर्भर आर्मेनिया की रक्षा प्रणाली अब धीरे-धीरे भारतीय तकनीक से आधुनिक हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत-आर्मेनिया रक्षा सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा में एक नए युग का प्रतिनिधित्व करता है, जो अत्याधुनिक भारतीय प्रणालियों को आर्मेनिया की रणनीतिक आवश्यकताओं के साथ जोड़ता है। यह सौदा दक्षिण काकेशस में भारत के बढ़ते प्रभाव और स्वदेशी हथियार तकनीक की वैश्विक अपील को दर्शाता है।




