चीन के लिए सबसे बड़ा डर हकीकत बन गया है। भारत ने फिलीपींस को ‘जहाज-मार’ ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें सौंप दी हैं, जो चीनी युद्धपोतों को पल भर में तबाह कर सकती हैं। यह न केवल भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा है, बल्कि दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की दादागिरी के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी है। इसका सीधा मतलब है कि चीन का क्षेत्रीय नौसैनिक प्रभुत्व अब एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है, और यह चुनौती भारत ने तैयार की है।

375 मिलियन डॉलर का सौदा जिसने बीजिंग को घुटनों पर ला दिया:
कल्पना कीजिए एक ऐसे विनाशकारी हथियार की जो युद्धपोतों को उनके आने से पहले ही नष्ट कर सकता है। भारत ने फिलीपींस को 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा सौदे के तहत ऐसी ही क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइलें दी हैं। जनवरी 2022 में हस्ताक्षरित इस सौदे में तीन तट-आधारित एंटी-शिप ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी शामिल हैं, जो फिलीपींस के जलक्षेत्र में अनधिकृत रूप से प्रवेश करने वाले किसी भी जहाज के लिए घातक साबित होंगी। दशकों तक, भारत हथियारों का आयातक रहा है, लेकिन अब वह ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों का निर्यातक बन गया है। रक्षा विशेषज्ञ इसे ‘जहाज-मार’ मिसाइल कहते हैं, और चीन इसे लेकर अत्यधिक चिंतित है। यह भारत का अपनी उन्नत मिसाइल तकनीक का पहला बड़ा निर्यात है, जिसने बीजिंग में खलबली मचा दी है, क्योंकि वे इस मिसाइल की मारक क्षमता को अच्छी तरह जानते हैं।
रणनीतिक दांव: भारत ने चीन विरोधी गठबंधन को मजबूत किया:
यह सौदा केवल व्यापारिक नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक महारत का प्रतीक है। भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है और आसियान देशों के साथ रक्षा साझेदारी को गहरा कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य चीन की बढ़ती आक्रामकता को नियंत्रित करना है। सीधे शब्दों में कहें तो, भारत उन देशों का एक गठबंधन तैयार कर रहा है जो चीन की क्षेत्रीय लालच का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
निशाना साधा गया: चीनी नौसेना और तटरक्षक सीधे खतरे में:
इन ब्रह्मोस मिसाइलों का एक ही उद्देश्य है: चीनी नौसैनिक जहाजों को डुबोना। चीन वर्षों से दक्षिण चीन सागर में एक समुद्री दादा की तरह व्यवहार कर रहा है, फिलीपींस के क्षेत्रीय दावों का उल्लंघन कर रहा है और अपने मछली पकड़ने वाले जहाजों को परेशान कर रहा है। अब वह दिन लद गए। ब्रह्मोस प्रणाली तटीय लॉन्च साइटों से दुश्मन के युद्धपोतों को नष्ट कर सकती है, जिसका अर्थ है कि चीनी जहाज अब फिलीपींस के जलक्षेत्र में बिना तत्काल विनाश के जोखिम के धमकी नहीं दे पाएंगे।
पहुंच पूरी – दुश्मन के लिए दुःस्वप्न पहले ही तैनात:
यह कोई दूर का भविष्य का खतरा नहीं है। मिसाइलों, मोबाइल लॉन्चरों और अन्य उपकरणों की पहली खेप अप्रैल 2024 में फिलीपींस पहुंची। दूसरी खेप अप्रैल 2025 में आई। तीसरी बैटरी जल्द ही आने वाली है, जो इस रक्षात्मक दीवार को पूरा करेगी। निर्यात संस्करण 290 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को भेद सकता है। यह ज़मीन, जहाज़ों, पनडुब्बियों या विमानों से लॉन्च की जा सकती है। यह चीनी नौसेना कमांडरों के लिए एक नई सिरदर्दी है, क्योंकि अब उन्हें हर संभावित दिशा से हमलों के लिए तैयार रहना होगा।




