भारत एक बड़े आतंकी हमले की चपेट में आने से बाल-बाल बच गया। सुरक्षा एजेंसियों ने दुनिया के इतिहास के सबसे भीषण सिलसिलेवार बम धमाकों में से एक की साजिश का भंडाफोड़ किया है, जिसमें 32 कार बमों में 3,200 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाना था। यदि यह ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल सफल हो जाता, तो इसके परिणाम अकल्पनीय होते, जिससे हजारों जानें जातीं और पूरा देश सदमे में चला जाता।

**साजिश के खौफनाक आंकड़े**
खुफिया एजेंसियों ने एक ऐसी गहरी साजिश का खुलासा किया है जिसने सुरक्षा महकमे में हड़कंप मचा दिया है:
* 32 वाहन आत्मघाती हमलों के लिए मोबाइल मोर्टार के रूप में इस्तेमाल होने थे।
* 3,200 किलोग्राम विस्फोटक जमा किया गया था, जो पूरे मोहल्लों को तबाह करने के लिए पर्याप्त था।
* प्रत्येक कार में लगभग 100 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट भरा जाना था, जो उन्हें सामूहिक विनाश के हथियार में बदल देता।
इसकी भयावहता को समझने के लिए, सोचिए कि लाल किले में हुए एक छोटे से बम धमाके में 13 लोगों की जान गई थी और खिड़कियां आधा किलोमीटर दूर तक टूट गई थीं। अब कल्पना कीजिए कि ऐसे 32 धमाके एक साथ देश भर में होते। यह विचार ही रोंगटे खड़े कर देने वाला है।
**3,200 KG विस्फोटक क्या कर सकते थे?**
विशेषज्ञों के विश्लेषण से इस आतंकी साजिश के भयावह परिणामों का अंदाजा लगाया जा सकता है:
* **एक साथ विस्फोट होने पर:** 3,200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट का एक बम लगभग 2.5 टन टीएनटी के बराबर शक्तिशाली विस्फोट करेगा।
* **50 मीटर के दायरे में:** सब कुछ पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा, कुछ भी शेष नहीं बचेगा।
* **ध्वनि तरंगें:** 14,400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली शॉक वेव मानव फेफड़ों को तुरंत फाड़ सकती हैं।
* **जनहानि:** घनी आबादी वाले इलाकों में कम से कम 300-350 लोगों की मौत हो सकती थी।
* **भवन क्षति:** 150 मीटर के दायरे की इमारतें ढह जाएंगी, 400 मीटर तक कांच की खिड़कियां टूट जाएंगी, और 800 मीटर दूर तक जमीन कांपेगी।
**इतिहास के सबसे घातक हमलों से सबक**
इस साजिश की गंभीरता को समझने के लिए, कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर नजर डालते हैं:
* **1995 ओक्लाहोमा सिटी बमबारी:** इसमें 1,800 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ था, जिसमें 168 लोग मारे गए और 600 से अधिक घायल हुए। इस हिसाब से 3,200 किलोग्राम विस्फोटक कम से कम 300 लोगों को मार सकते थे और 550 को घायल कर सकते थे – यह एक रूढ़िवादी अनुमान है।
* **1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट:** 12 समन्वित विस्फोटों में लगभग 1,500 किलोग्राम विस्फोटक का उपयोग किया गया था, जिसमें 257 लोग मारे गए और 1,400 से अधिक घायल हुए। 3,200 किलोग्राम के हिसाब से यह संख्या 500 मौतों और 2,800 चोटों तक पहुंच सकती थी, जो इसे इतिहास का सबसे घातक आतंकी हमला बना देता।
**खतरा अभी टला नहीं है**
हालांकि सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, कुछ महत्वपूर्ण सवाल अनुत्तरित हैं:
* **लापता विस्फोटक:** 3,200 किलोग्राम में से केवल 2,900 किलोग्राम बरामद हुए हैं। शेष 300 किलोग्राम कहां हैं?
* **लापता वाहन:** अब तक केवल तीन कारें ही ट्रेस की गई हैं: लाल किले पर हमला करने वाली Hyundai i20, फरीदाबाद से बरामद EcoSport, और अल-फलाह विश्वविद्यालय से मिली Shaheen Saeed की Brezza। बाकी 29 वाहन कहां हैं? उनका पता चलने से इस आतंकी नेटवर्क का पूरा जाल सामने आ सकता है।
**एक राष्ट्र जिसने विनाश को टाला**
यदि यह ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल सफल हो जाता, तो भारत अभूतपूर्व पैमाने पर नरसंहार का गवाह बनता, जो मानव इतिहास के हर आतंकी हमले को पार कर जाता। खुफिया एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई ने न केवल मौतों को रोका, बल्कि एक ऐसी राष्ट्रीय आपदा को भी टाला जिसने एक पूरी पीढ़ी को झकझोर दिया होता।
लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जब तक हर किलोग्राम विस्फोटक का हिसाब नहीं मिल जाता और हर वाहन का पता नहीं चल जाता, तब तक इस खतरे की छाया बनी रहेगी। भारत के सुरक्षा तंत्र को सतर्क रहना होगा, क्योंकि अगला प्रयास कभी भी हो सकता है।


