भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राष्ट्र (टू-स्टेट) योजना का समर्थन करने वाले प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव को न्यूयॉर्क घोषणापत्र भी कहा जाता है। फ्रांस द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव को भारत सहित 142 देशों ने समर्थन दिया, जबकि 10 देशों ने इसका विरोध किया और 12 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। अर्जेंटीना, हंगरी, इजराइल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का मतदान गाजा पर उसके पहले के रुख से एक स्पष्ट बदलाव का संकेत देता है। पिछले कुछ वर्षों से, भारत युद्धविराम की मांग वाले प्रस्तावों का समर्थन करने से बचता रहा है। पिछले 3 सालों में भारत ने 4 बार गाजा में युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव से खुद को अलग रखा है। यह 7 पन्नों का घोषणापत्र जुलाई में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद आया है, जिसकी सह-मेजबानी सऊदी अरब और फ्रांस ने की थी, जिसका उद्देश्य दशकों पुराने संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत फिर से शुरू करना था।
घोषणापत्र में 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले की निंदा की गई, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 250 से ज्यादा बंधक बनाए गए। इसमें गाजा में इजराइल के जवाबी अभियान की भी आलोचना की गई, जिसमें फिलिस्तीनियों की मौत हो रही है और वे भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। घोषणापत्र में इजराइली नेताओं से दो-राज्य समाधान का समर्थन करने का आग्रह किया गया, जिसमें एक संप्रभु और सक्षम फिलिस्तीनी देश शामिल हो। इसमें इजराइल से फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा को तुरंत रोकने, पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके को हड़पने से रोकने और हिंसा रोकने का आह्वान किया गया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि फिलिस्तीनी राज्य का एक अहम हिस्सा है और उसे वेस्ट बैंक के साथ जोड़ा जाना चाहिए, जहां कोई कब्जा, घेराबंदी, जमीन पर कब्जा या जबरन पलायन नहीं होना चाहिए।
इजराइल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इज़राइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मर्मोरस्टीन ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘एक बार फिर साबित हो गया कि UN हकीकत से कटे हुए एक राजनीतिक मंच की तरह है। इस प्रस्ताव में शामिल दर्जनों पॉइंट्स में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि हमास एक आतंकी संगठन है।’
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के मिशन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ‘न्यूयॉर्क घोषणापत्र’ का विरोध करता है। अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ओर्टागस ने इसे राजनीतिक दिखावा बताया और कहा कि यह प्रस्ताव हमास के लिए एक तोहफा है।