इजराइल ने हाल ही में हूती लड़ाकों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया, जिसका लक्ष्य हूती सैन्य प्रमुख और यमन के राष्ट्रपति को मारना था। हालांकि, यह ऑपरेशन विफल रहा और इसमें हूती का एक भी कमांडर मारा नहीं गया, जबकि नागरिकों की जान चली गई।
सवाल यह है कि इजराइल, जो ईरान जैसे देशों में सफल रहा है, हूती लड़ाकों को मारने में क्यों असफल रहा? कई कारण हैं:
1. **भाषा की समस्या:** हूती लड़ाके आमतौर पर अरबी भाषा का उपयोग करते हैं, जिसे इजराइली खुफिया एजेंसियां पूरी तरह से समझने में विफल रही हैं। इजराइल ने अपने खुफिया अधिकारियों को अरबी सीखने के लिए कहा है, क्योंकि हूती कोडवर्ड में बातचीत करते हैं, जिससे उनकी गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
2. **अधूरी तैयारी:** ईरान और अन्य देशों में सफल अभियानों के लिए इजराइल ने वर्षों तक तैयारी की थी। हालांकि, यमन में अभी भी तैयारी चल रही है। मोसाद के जासूस अभी भी हूती के लिए महत्वपूर्ण ठिकानों की सूची बना रहे हैं, जिस पर इजराइल जल्द ही हमला करने की योजना बना रहा है।
3. **कमांडरों की पहचान का अभाव:** ईरान और हमास में कमांडरों की आधिकारिक नियुक्तियां होती थीं, जिससे इजराइल उन्हें निशाना बना सकता था। हूती के मामले में, कोई स्पष्ट पदानुक्रम नहीं है। हूती के सभी सदस्य पर्दे के पीछे से काम करते हैं और इजराइल पर मिसाइलें दागते हैं।