पूर्व प्रधानमंत्री और नेकपा (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर वापसी की है। उन्होंने भक्तपुर में पार्टी की छात्र इकाई राष्ट्रीय युवा संघ के एक कार्यक्रम में भाग लिया। यह कदम उनकी राजनीतिक सक्रियता और विशेष रूप से युवाओं के साथ फिर से जुड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। जनाक्रोश और हिंसा के बाद ओली को पद छोड़ना पड़ा था, और उनकी जगह पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। 8 सितंबर को शुरू हुए जेन-जी आंदोलन और उसके अगले दिन 9 सितंबर को इस्तीफे के बाद से ओली जनता के सामने नहीं आए थे। सूत्रों के अनुसार, शुरुआती दिनों में वे नेपाली सेना की सुरक्षा में रहे और फिर अस्थायी निवास में चले गए। पार्टी के उपमहासचिव प्रदीप ज्ञवाली ने हाल ही में पुष्टि की थी कि ओली सचिवालय की बैठक में शामिल होंगे, जिसके बाद यह सार्वजनिक उपस्थिति हुई। वर्तमान संसद भंग हो चुकी है और मार्च 2026 में आम चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बीच, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जारी है। काठमांडू समेत बड़े शहरों में युवा लगातार राजनीतिक सुधार की मांग कर रहे हैं। ऐसे माहौल में ओली का यह सार्वजनिक आगमन न केवल पार्टी को एकजुट करने का प्रयास है, बल्कि अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने का भी। सवाल यह है कि क्या जनता, खासकर जेन-जी पीढ़ी, उन्हें दोबारा स्वीकार करेगी या यह आंदोलन नेपाल की राजनीति में एक स्थायी बदलाव लाएगा। 8 सितंबर को संसद भवन के सामने शुरू हुए छात्र-युवा प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें भ्रष्टाचार को खत्म करने, पारदर्शिता लाने और विवादास्पद सोशल मीडिया प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई थी। सुरक्षा बलों ने पानी की बौछार, आंसू गैस और गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप 74 लोगों की जान चली गई।
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जेन-जी आंदोलन के बाद केपी शर्मा ओली की वापसी
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