ईरान में सर्वोच्च नेता खामेनेई की सत्ता को अस्थिर करने की अटकलों के बीच, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद सक्रिय हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इजराइल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के साथ, ईरान में बड़े पैमाने पर हथियार भेज रहा है, जिसका उद्देश्य खामेनेई को सत्ता से हटाना है। मोसाद इसके लिए पाकिस्तान का उपयोग कर रहा है। हाल ही में पकड़े गए हथियारों की खेप इस बात का प्रमाण है। नेतन्याहू और ट्रंप दोनों ही मानते हैं कि मध्य पूर्व में शांति के लिए खामेनेई को हटाना आवश्यक है। इजरायली रक्षा मंत्री की अमेरिकी यात्रा के बाद इस योजना को और बल मिला है। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि खामेनेई का तख्तापलट किया जाए या उन्हें हटाया जाए। मोसाद ने इसके लिए एक योजना भी बनाई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान का करीबी सहयोगी पाकिस्तान ही ईरान में हथियार भेजने का जरिया बन रहा है, ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके। सिस्तान और बलूचिस्तान में ईरानी खुफिया एजेंसियों ने बड़ी मात्रा में हथियार पकड़े हैं। पाकिस्तान के रास्ते मोसाद ईरान में अमेरिकी हथियार भेज रहा था। अल-मायादीन की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के खुफिया मंत्रालय ने सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में तस्करी किए गए हथियारों की बड़ी खेप जब्त की है। इस खेप में ज्यादातर हथियार अमेरिकी थे। दावा किया गया है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद से जुड़े समूह इन हथियारों की तस्करी कर रहे थे ताकि ईरान में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके और खामेनेई को हटाया जा सके। खुफिया निदेशालय ने बताया कि अगस्त महीने में तीन बार छापेमारी की गई, जिसमें 210 से अधिक सैन्य हथियार पकड़े गए। तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, पिछले साल मार्च से अब तक छह बार इस तरह के अभियान चलाए गए हैं और 1 हजार से ज्यादा हथियार बरामद किए गए हैं जो ईरान भेजे जाने के लिए पाकिस्तान पहुंचे थे। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने कहा है कि वह हर खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है। IRGC ने कहा कि वह किसी भी खतरे या हमले का निर्णायक और दर्दनाक तरीके से जवाब देगा।






