
बांग्लादेश के बाद, भारत के एक और पड़ोसी देश में चुनावों की घोषणा की गई है। राज्य टेलीविजन ने सोमवार को जानकारी दी कि म्यांमार में आम चुनाव का पहला चरण 28 दिसंबर को होगा। युद्धग्रस्त देश में लगभग पांच साल में पहली बार होने वाले चुनावों के लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है, लेकिन आलोचकों ने इसे दिखावा बताया है। म्यांमार की सैन्य सरकार ने चुनावों का ऐलान किया है, जबकि इस बात को लेकर संशय है कि अधिकारी स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान कराएंगे या नहीं। देश के चुनाव आयोग ने कहा कि यह मतदान चरणबद्ध तरीके से कराए जाएंगे। चुनाव आयोग ने कहा, “चुनावों के अगले चरणों की तारीखों का ऐलान तदनुसार किया जाएगा।” सरकारी मीडिया के अनुसार लगभग 55 पार्टियों ने चुनाव के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें से नौ पार्टियां देशभर की सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। सैन्य सरकार विरोधी दलों को चुनाव लड़ने से रोका गया है। सैन्य-विरोधी विपक्षी समूहों को या तो चुनाव लड़ने से रोका गया है या उन्होंने इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। पश्चिमी सरकारों ने इस चुनाव को जनरलों की शक्ति को मजबूत करने के कदम के रूप में खारिज कर दिया है और यह उम्मीद की जा रही है कि इसमें सेना के प्रतिनिधियों का प्रभुत्व होगा। पूर्व प्रधानमंत्री आंग सान सू की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी सहित विपक्षी समूहों ने चुनावों का बहिष्कार करने की बात कही है। उनका मानना है ये चुनाव मिन आंग ह्लाइंग की सत्ता पर पकड़ को मजबूत करने के लिए महज एक दिखावा है। म्यांमार में आखिरी चुनाव नवंबर 2020 में कराए गए थे। इसके बाद देश के हालात बिगड़ने पर सेना ने आंग सान सू को गिरफ्तार कर इमरजेंसी लगा दी थी। तख्तापलट के बाद से म्यांमार गृहयुद्ध से जूझ रहा है, देश के बड़े हिस्से पर विभिन्न विद्रोही समूहों का नियंत्रण है, जिनमें पीपुल्स डिफेंस फोर्स, अराकान आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी शामिल हैं।






