इजराइल ने गाजा शहर पर जमीनी कब्जा शुरू कर दिया है। कई दिनों तक बमबारी और गोलीबारी के बाद, इजरायली सेना शहर के बाहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी है। यह वही गाजा शहर है जो गाजा पट्टी का सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहाँ पहले लगभग 7 लाख लोग रहते थे, लेकिन युद्ध के दौरान शरण लेने वाले फिलिस्तीनियों की वजह से यह संख्या 12 लाख तक पहुँच गई है। अब लोग पलायन कर रहे हैं।
फिलहाल इजराइल का दावा है कि उसका गाजा के लगभग 75% हिस्से पर नियंत्रण है। लेकिन गाजा शहर पर कब्जा इस पूरे संघर्ष का निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। सवाल यह है कि इस कब्जे के पीछे असली योजना क्या है और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इससे क्या हासिल करना चाहते हैं?
गाजा सिटी भूमध्यसागर के तट पर है, यरूशलम से लगभग 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। युद्ध से पहले यहाँ लगभग सात लाख लोग रहते थे, लेकिन अब यह संख्या 12 लाख तक पहुँच गई है, जिनमें से अधिकांश शरणार्थी या उनके वंशज हैं।
गाजा सिटी के कई इलाकों से फिलिस्तीनियों का पलायन शुरू हो चुका है। इजराइली रक्षा मंत्री काट्ज ने सैन्य कार्रवाई को मंजूरी दी है और लगभग 60,000 रिजर्व सैनिकों को जमीनी हमले को तेज करने के लिए बुलाया जा रहा है। सेना का दावा है कि हमले से हमास की संरचना कमजोर हुई है, लेकिन उसकी बड़ी ताकत अभी भी गाजा सिटी में है।
इजराइली सेना यानी IDF ने गाजा सिटी पर कब्जा करने के इस अभियान को ‘ऑपरेशन गिदोनस चेरियट्स’ नाम दिया है। इस ऑपरेशन के तहत हजारों सैनिकों को गाजा सिटी के उन हिस्सों में भेजा जाएगा जहां अब तक जमीनी कार्रवाई नहीं हुई है। योजना धीरे-धीरे ऑपरेशन को गाजा पट्टी के शरणार्थी शिविरों और तटीय इलाके मुवासी तक फैलाना है।
इन इलाकों में अब तक पूरी तरह से तबाही नहीं हुई है और यहाँ लाखों विस्थापित लोग रह रहे हैं। इजराइल का दावा है कि हमास इन क्षेत्रों की सुरंगों और गुप्त ठिकानों में बंधकों को छुपाए हुए हो सकता है। इजराइल का गाजा सिटी पर कब्जा केवल पहला पड़ाव है, असली लक्ष्य धीरे-धीरे पूरे उत्तरी और मध्य गाजा को अपने सैन्य नियंत्रण में लेना है।
इजराइल ने कहा है कि फिलहाल उसका मकसद पूरे गाजा पट्टी पर कब्जा नहीं है, बल्कि गाजा सिटी पर नियंत्रण हासिल करना है। सेना का मानना है कि हमास की सैन्य और राजनीतिक क्षमताएं इसी शहर में सबसे ज्यादा हैं। इजराइल ने युद्ध समाप्त करने के लिए 5 प्रमुख शर्तें रखी हैं।
इजराइली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री नेतन्याहू और सेना के चीफ ऑफ स्टाफ के बीच इस मुद्दे पर गंभीर बहस हुई। नेतन्याहू पूरे गाजा पट्टी पर कब्जा करना चाहते थे, लेकिन सेना प्रमुख का कहना था कि इतना बड़ा कब्जा टिकाऊ नहीं होगा और इजराइल की ताकत बंट जाएगी। इसी बहस के बाद यह समझौता हुआ कि फिलहाल केवल गाजा सिटी पर फोकस किया जाए, लेकिन नेतन्याहू की मंशा पूरे गाजा पट्टी को कंट्रोल करने की है, जिस पर सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे गाजा पट्टी को इजरायली नियंत्रण में आने में 3 से 6 महीने तक लग सकते हैं, बशर्ते ऑपरेशन तेजी से और लगातार चलता रहे।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा के 86% हिस्से या तो नो-गो ज़ोन हैं या फिर सेना द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित हैं। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं और सबसे बड़ा विस्थापन शिविर ‘मुवासी’ तेजी से भर रहा है। इजराइल का कहना है कि वह लड़ाई वाले ज़ोन से बाहर नागरिकों को मानवीय मदद देगा, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि मदद कौन देगा और कैसे।
इजरायली योजना ने पश्चिमी देशों में चिंता पैदा कर दी है। अमेरिका को छोड़कर लगभग सभी पश्चिमी सहयोगी इजराइल से युद्ध रोकने की अपील कर रहे हैं। हमास का आरोप है कि इजराइल निर्दोष नागरिकों के खिलाफ निर्मम युद्ध चला रहा है और युद्धविराम में बाधा डाल रहा है।