बांग्लादेश में दुनिया के सबसे अधिक रोहिंग्या शरणार्थी हैं। बांग्लादेश सरकार लगभग 10 लाख रोहिंग्याओं को शरण दिए हुए है, जिसकी वजह से बांग्लादेश सरकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी हुई है। 2017 में म्यांमार में हुई रोहिंग्या विरोधी हिंसा के कारण लगभग 7 लाख लोग भागकर यहां आए थे। इसके बाद धीरे-धीरे और लोग अपनी जान बचाने के लिए सीमा पार कर बांग्लादेश आए हैं।
हाल के वर्षों में म्यांमार के रखाइन राज्य में बढ़ते संघर्ष के कारण पिछले 18 महीनों में लगभग 1.5 लाख अतिरिक्त रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे हैं। इन सभी शरणार्थियों को बसाने और सुरक्षा देने के लिए बांग्लादेश को बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय मदद मिल रही है।
फिर भी, यूनुस सरकार के मंत्री इसे नाकाफी बताते हैं और अधिक आर्थिक सहायता की उम्मीद कर रहे हैं। अब एक और यूरोपीय देश नीदरलैंड ने बांग्लादेश को रोहिंग्याओं के लिए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
ढाका स्थित नीदरलैंड दूतावास ने एक बयान में कहा कि नीदरलैंड ने रोहिंग्या के लिए 500,000 यूरो यानी 5 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय सहायता का ऐलान किया है। इससे पहले UN के प्रमुख भी मोहम्मद यूनुस के साथ रोहिंग्या कैंपों का दौरा कर चुके हैं और बांग्लादेश को सहायता की घोषणा कर चुके हैं।
दूतावास ने कहा, “नीदरलैंड रोहिंग्या शरणार्थियों को आश्रय प्रदान करने के बांग्लादेश के प्रयासों में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में हम घोषणा कर रहे हैं कि नीदरलैंड हमारे विश्वसनीय सहयोगी UNHCR को सुरक्षा और मानवीय सहायता के लिए 5 लाख यूरो प्रदान करेगा।”
बांग्लादेश के अलावा, रोहिंग्या अपनी जान बचाने के लिए भारत भी आए हैं। भारत में अच्छी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी हैं, लेकिन हाल ही में उनके खिलाफ कई अभियान चलाए गए हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने विरोध किया और उन्हें मानव अधिकारों के खिलाफ बताया है। रोहिंग्या को दुनिया के सबसे पीड़ित समुदायों में से एक माना जाता है।