नेपाल में 2 साल 8 महीने की बच्ची आर्यतारा शाक्य को देश की नई कुमारी, यानी जीवित देवी चुना गया है। मंगलवार को उन्हें उनके घर से काठमांडू के मंदिर में लाया गया, जो अब उनका नया घर होगा। यह परंपरा नेपाल के सबसे बड़े त्योहार दशैं के दौरान निभाई जाती है। नेपाल में कुमारी को देवी का रूप माना जाता है। ये बच्चियां आमतौर पर 2 से 4 साल की उम्र में चुनी जाती हैं। आर्यतारा ने 11 साल की तृष्णा शाक्य की जगह ली है। आर्यतारा के पिता ने बताया कि उनकी पत्नी ने गर्भावस्था के दौरान सपना देखा था कि उनकी बेटी खास होगी। अब वही बेटी देवी बन गई है। कुमारी को त्योहारों के समय रथ पर बैठाकर घुमाया जाता है। लोग उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। उनके माथे पर तीसरी आंख बनाई जाती है और वे लाल कपड़े पहनती हैं। कुमारी का जीवन बाकी बच्चों से अलग होता है। वे बाहर बहुत कम जाती हैं और उन्हें स्कूल भी नहीं भेजा जाता। सरकार अब उन्हें घर पर ही पढ़ाई की सुविधा देती है और टीवी देखने की भी अनुमति है। कई बार पूर्व कुमारियों को सामान्य जीवन में लौटने में मुश्किल होती है। एक मान्यता है कि जो आदमी कुमारी से शादी करेगा, वह जल्द ही मर जाएगा। इसलिए ज्यादातर कुमारियां शादी नहीं करतीं। सरकार अब रिटायर्ड कुमारियों को हर महीने पेंशन भी देती है, ताकि वे सम्मान से अपना जीवन जी सकें। नेपाल में कुमारी देवी चुनने की परंपरा 17वीं सदी में मल्ल राजा ने शुरू की थी। मान्यता है कि देवी तालेजू (दुर्गा का रूप) की आत्मा एक छोटी, कुंवारी लड़की में वास करती है। आमतौर पर कुमारी शाक्य या बज्राचार्य समुदाय से चुनी जाती है। यह परंपरा मुख्य रूप से काठमांडू की नेवारी संस्कृति से जुड़ी है, जिसमें एक बच्ची को देवी तालेजू का अवतार मानकर पूजा जाता है। कुमारी बनने के लिए बच्ची की उम्र 2 से 4 साल के बीच होती है। उसे पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए, कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए और उसके सारे दूध के दांत सही सलामत होने चाहिए। इसके बाद बच्ची को देवी के 32 गुणों के आधार पर परखा जाता है, जैसे शरीर बरगद जैसा मजबूत, गर्दन शंख जैसी, पलकों की बनावट गाय जैसी, छाती शेर जैसी, आवाज बत्तख जैसी साफ और मधुर और 20 बिना टूटे दांत। इसके बाद सबसे कठिन परीक्षा साहस की होती है। बच्ची को कालरात्रि के दिन तालेजू मंदिर ले जाया जाता है, जहां देवी को प्रसन्न करने के लिए 108 भैंसों और बकरियों की बलि दी जाती है। डरावने मुखौटे पहनकर लोग नाचते हैं और माहौल बेहद भयावह होता है। बच्ची को इस माहौल में बिना डरे रहना होता है और रात जानवरों के कटे हुए सिरों के बीच बितानी होती है। अगर वह डर नहीं दिखाती, तो माना जाता है कि उसमें देवी का साहस है।
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नेपाल में नई कुमारी: एक जीवित देवी
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