अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा निर्धारित समय सीमा के बाद रूस पर कड़े प्रतिबंध लग सकते हैं। रूस के खिलाफ छद्म अभियान शुरू हो सकते हैं, और उसके तेल टैंकर बेड़े पर हमले हो सकते हैं। इन आशंकाओं के बीच, रूस ने नाटो के साथ सीधी जंग की तैयारी तेज कर दी है। यूरोप में परमाणु भय व्याप्त है क्योंकि रूस ने अपनी सुपर मिसाइल के परीक्षण की तैयारी तेज कर दी है, और अपने सहयोगी देशों को भी युद्ध के लिए तैयार कर दिया है।
युद्धविराम वार्ता विफल हो चुकी है, और कूटनीतिक प्रयास भी निष्फल रहे हैं। ट्रम्प पुतिन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है। यह स्पष्ट हो गया है कि रूसी राष्ट्रपति सीजफायर लागू नहीं करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका और यूरोप के बीच संबंध और खराब हो सकते हैं। ऐसे में रूस की रक्षा के लिए शक्तिशाली हथियारों की आवश्यकता होगी।
पुतिन ने सुपर क्रूज मिसाइल के परीक्षण का आदेश दिया है। रूस के पास कई परमाणु मिसाइलें हैं, लेकिन पुतिन ने एक ऐसी मिसाइल तैनात करने का फैसला किया है जिसे मारना मुश्किल है। इसके लिए रूस ने 33 साल बाद नोवाया ज़ेमल्या परीक्षण स्थल को फिर से खोला है, जहाँ वह बड़े परमाणु परीक्षण करता रहा है। अब, पुतिन ने नोवाया ज़ेमल्या से सुपर क्रूज मिसाइल के परीक्षण का आदेश दिया है।
बुरिवेस्निक रूस की सुपर क्रूज मिसाइल है। यह दुनिया की पहली अंतरमहाद्वीपीय क्रूज मिसाइल है जो तरल या ठोस ईंधन से नहीं, बल्कि परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है। इसमें एक परमाणु रिएक्टर लगा है और यह लगभग 20 वर्षों तक लगातार उड़ान भर सकती है। उड़ान के दौरान यह रास्ता बदलने में सक्षम है, और कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता इसे सटीक और अजेय बनाती है। यह परमाणु हमले करने में सक्षम है और नाटो ने इसे SSC-X-9 स्काईफॉल नाम दिया है।
इस मिसाइल को ‘फ्लाइंग चेर्नोबिल’ भी कहा जाता है। अब तक, परमाणु ऊर्जा का उपयोग केवल पनडुब्बियों और विमान वाहक में किया गया है, लेकिन रूस ने पहली बार मिसाइल में परमाणु रिएक्टर लगाया है। यह एक चुनौतीपूर्ण काम था जिसके कारण रूस को कई समस्याएं आईं।
बेलारूस में युद्ध का मैदान तैयार हो गया है। 2019 तक, इस मिसाइल के कई परीक्षण किए गए, लेकिन एक परीक्षण के दौरान मिसाइल दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 7 रूसी परमाणु वैज्ञानिकों की मृत्यु हो गई। 2023 में पुतिन ने कहा था कि रूस की बुरिवेस्निक मिसाइल युद्ध के लिए तैयार है और इसे 2025 में तैनात किया जाएगा।
पुतिन ने वाल्डाई शिखर सम्मेलन में इसे युद्ध के लिए तैयार करने की बात कही थी, और अब इसका अंतिम परीक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही, पुतिन ने अपने सहयोगी बेलारूस को भी युद्ध के लिए तैयार कर दिया है। रूस ने जापाड 2025 सैन्य अभ्यास के लिए बेलारूस में सेना भेजी है, और इस बहाने यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती की जा रही है।
बेलारूस में युद्ध का मैदान तैयार हो गया है, जहां रूसी सेना यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती कर रही है। बेलारूस ने यूक्रेनी सीमा पर सैन्य वाहनों की संख्या बढ़ा दी है और नई MLRS ब्रिगेड तैनात की हैं। एयर असॉल्ट यूनिट के ड्रोन ऑपरेटर भी यूक्रेन की सीमा पर पहुंच चुके हैं।
रोमानिया की सीमा के करीब रूस के ड्रोन गिरे हैं। नाटो के साथ सीधी जंग की आशंका बढ़ गई है क्योंकि रूस के विस्फोटक ड्रोन यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भी पहुँच रहे हैं। 6 अगस्त को रोमानिया की सीमा के पास रूसी ड्रोन गिरे। रोमानियाई रडार ने रूसी ड्रोन को ट्रैक किया और खतरे को देखते हुए रोमानिया ने F-16 विमान तैनात किए।
हालांकि, कोई भी रूसी ड्रोन रोमानिया की जमीन पर नहीं गिरा, लेकिन इससे पहले नाटो के सदस्य देश लिथुआनिया में दो बार रूसी ड्रोन गिर चुके हैं। लिथुआनिया ने कहा है कि यह नाटो की हवाई क्षेत्र का उल्लंघन है और नाटो को रूस के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।
पोलैंड ने कैलिनिनग्राद बेस के करीब टैंकों की तैनाती बढ़ाई है। नाटो ने भी रूस के खिलाफ सैन्य तैनाती तेज कर दी है। पोलैंड ने कैलिनिनग्राद बेस के करीब साउथ कोरिया के K2 ब्लैक पैंथर टैंक तैनात किए हैं। कैलिनिनग्राद रूस का परमाणु बल बेस है। माना जाता है कि रूस कैलिनिनग्राद या आर्कटिक बेस से नाटो पर हमला कर सकता है, इसीलिए नाटो आर्कटिक में अपनी ताकत बढ़ाने का मिशन तेज कर रहा है।