पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर पिछले सप्ताहांत हुई भीषण गोलीबारी ने दोनों देशों के बीच तनाव को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है। यह संघर्ष शनिवार देर रात शुरू हुआ, जब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तानी चौकियों पर हमले किए। अफगान अधिकारियों का दावा है कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा कुछ दिन पहले काबुल पर की गई हवाई कार्रवाई का जवाब था।
इस हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों की ओर से हताहतों के आंकड़े बेहद विरोधाभासी सामने आए हैं। प्रत्येक पक्ष ने दूसरे को अधिक नुकसान पहुंचाने का दावा किया है। बढ़ते तनाव के बीच रविवार को सीमा पार आवाजाही को भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
अफगान हमलों का कारण: अफगान अधिकारियों ने शनिवार देर रात हमले शुरू करते हुए पाकिस्तान पर गुरुवार रात काबुल और देश के पूर्वी हिस्से के एक बाजार में हवाई हमले करने का आरोप लगाया। हालांकि पाकिस्तान ने इन हमलों में अपनी भूमिका की पुष्टि नहीं की है, लेकिन तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने दृढ़ता से कहा, “इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान के लोग अपनी भूमि की रक्षा करेंगे और इस रक्षा में दृढ़ और प्रतिबद्ध रहेंगे।”
विरोधाभासी हताहतों के आंकड़े: दोनों देशों के बीच हताहतों की संख्या में भारी अंतर था। अफगान अधिकारियों ने दावा किया कि 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और लगभग 30 घायल हुए। इसके विपरीत, पाकिस्तान ने अपने 23 सैनिकों की मौत की सूचना दी, लेकिन यह भी कहा कि जवाबी कार्रवाई में 200 से अधिक तालिबानी लड़ाके मारे गए। इन आंकड़ों की स्वतंत्र पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंध: 2021 में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। इस्लामाबाद ने बार-बार तालिबान सरकार पर आतंकवादियों, विशेषकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सदस्यों को पनाह देने का आरोप लगाया है, जिनका संबंध पाकिस्तान के भीतर कई हमलों से रहा है। काबुल इन आरोपों से लगातार इनकार करता रहा है। दोनों राष्ट्र 2,611 किलोमीटर लंबी डूरंड रेखा से विभाजित हैं, जिसे अफगानिस्तान ने कभी औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: इस झड़प पर प्रतिक्रिया देते हुए, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने अफगान “उकसावे” की कड़ी निंदा की और निर्णायक जवाब देने का वादा किया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की रक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, और हर उकसावे का मजबूत और प्रभावी जवाब दिया जाएगा।” उन्होंने तालिबान नेताओं पर अपने क्षेत्र का इस्तेमाल “आतंकवादी तत्वों” द्वारा होने देने का भी आरोप लगाया।
अफगानिस्तान की चेतावनी और मध्यस्थता प्रयास: तालिबान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने रविवार को चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार नहीं है तो अफगानिस्तान के पास “अन्य विकल्प” हैं। उन्होंने संकेत दिया कि इस्लामाबाद के कुछ तत्व, संभवतः सेना का जिक्र करते हुए, संबंधों को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके जवाब में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने तालिबान से उन आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया जो दोनों देशों के बीच शांति को खतरे में डाल रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, कतर और सऊदी अरब के नेतृत्व में मध्यस्थता के प्रयासों के बाद सीमा पार गोलीबारी बंद हो गई।