दक्षिण एशिया की नाजुक शांति को खतरे में डालते हुए, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के आदेश पर काबुल के पास अफगानिस्तान में बीती रात भीषण हवाई हमले किए गए। इस्लामाबाद का दावा है कि इस कार्रवाई का लक्ष्य तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर नूर वली महसूद थे, जिन पर पाकिस्तानी बलों पर हुए हालिया घातक हमले का आरोप था।
हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर, टीटीपी ने महसूद के नाम से एक ऑडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने अपनी मौत की खबरों का खंडन किया और खुद के जीवित होने का दावा किया। इस घटना ने पाकिस्तान के ‘आतंकवाद विरोधी अभियान’ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और इसे पाक सेना प्रमुख की अब तक की सबसे बड़ी भूल माना जा रहा है।
काबुल में तालिबान सरकार ने इस हवाई हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अफगानिस्तान की संप्रभुता का घोर उल्लंघन बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। तालिबान ने एक कड़े बयान में कहा कि पाकिस्तान को इस अकारण हमले से हुए नागरिक हताहतों की “कीमत चुकानी पड़ेगी”।
यह स्थिति और भी अधिक संवेदनशील हो गई है क्योंकि अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी इस समय भारत की यात्रा पर हैं और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की है। भारत ने अफगानिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया है और काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलने की योजना की घोषणा की है, जो तालिबान शासन के साथ नए सिरे से कूटनीतिक जुड़ाव का संकेत है।
वहीं, पाकिस्तान के घरेलू मोर्चे पर भी भारी उथल-पुथल मची हुई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने गाजा संघर्ष को लेकर कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समूह द्वारा अमेरिका दूतावास की ओर मार्च करने के प्रयासों के चलते इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं। सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़पें पहले ही शुरू हो चुकी हैं।