दिल्ली के आसमान में विमान सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं उभर आई हैं, खासकर हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया दुर्घटना के बाद। हाल के दिनों में कई एयरलाइंस ने राष्ट्रीय राजधानी में आने-जाने वाले विमानों को प्रभावित करने वाली तीव्र जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) की घटनाओं की सूचना दी है। माना जा रहा है कि ये हरकतें पाकिस्तान की ओर से की जा रही हैं, जिसने विमानन अधिकारियों को सतर्क कर दिया है।
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में दिल्ली के लगभग 60-नॉटिकल-मील के दायरे में उड़ान भरने वाले विमानों के नेविगेशन सिस्टम को गलत पोजिशनल डेटा मिला है। कई मामलों में, कॉकपिट सिस्टम ने भ्रामक चेतावनी जारी की, जिसमें ऐसे इलाके की चेतावनी भी शामिल थी जो वास्तव में मौजूद नहीं थे।
एक वाणिज्यिक पायलट ने बताया कि पिछले हफ्ते संचालित की गई सभी छह उड़ानों के दौरान उन्हें स्पूफ्ड नेविगेशन सिग्नल का सामना करना पड़ा। पायलट ने कहा, “लैंडिंग के दौरान, सिस्टम ने आगे इलाके की चेतावनी दी, जबकि रास्ता बिल्कुल साफ था।” ऐसी ही समस्याएं टेक-ऑफ के दौरान भी आईं, जिसके कारण क्रू को एयर ट्रैफिक कंट्रोल से मैनुअल नेविगेशन सहायता लेनी पड़ी। इन गड़बड़ियों ने दिल्ली हवाई अड्डे पर व्यस्त समय के दौरान उड़ानों में देरी का कारण भी बना है।
हालांकि भारत की पश्चिमी सीमा के पास, विशेष रूप से पाकिस्तान के करीब, जीपीएस हस्तक्षेप (GPS interference) की घटनाएं आम हैं, लेकिन राजधानी क्षेत्र में इसका दिखना असामान्य है। अधिकारियों के अनुसार, इन गड़बड़ियों को समझाने के लिए कोई आधिकारिक सूचना (NOTAM) या सैन्य अभ्यास की पूर्व सूचना जारी नहीं की गई थी, जिससे चिंताएं और बढ़ गई हैं।
इस साल की शुरुआत में संसद में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों, मुख्य रूप से अमृतसर और जम्मू सेक्टरों में, जीपीएस हस्तक्षेप या स्पूफिंग के 465 मामले सामने आए थे, जिसका औसत लगभग एक घटना प्रति दिन था।
**जीपीएस स्पूफिंग क्या है?**
जीपीएस स्पूफिंग एक साइबर तकनीक है जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल प्रसारित किए जाते हैं। यह विमानों के नेविगेशन सिस्टम को धोखा देता है, जिससे वे गलत स्थिति या ऊंचाई प्रदर्शित करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) दोनों ने पहले ही चेतावनी दी है कि इस तरह का हस्तक्षेप विमानन सुरक्षा के लिए एक बढ़ता हुआ वैश्विक जोखिम है।
**क्या स्पूफिंग विमान दुर्घटना का कारण बन सकती है?**
विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक विमानों में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS) सहित कई रिडंडेंट नेविगेशन सिस्टम लगे होते हैं। ये सिस्टम जीपीएस डेटा खराब होने पर भी घंटों तक सुरक्षित संचालन बनाए रख सकते हैं। इसलिए, अकेले स्पूफिंग से दुर्घटना होने की संभावना कम है।
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि स्पूफिंग कॉकपिट में अत्यधिक कार्यभार, भ्रम और गलत नेविगेशन संकेत पैदा कर सकती है। जटिल हवाई क्षेत्र में या लैंडिंग जैसे महत्वपूर्ण उड़ान चरणों के दौरान, इन कारकों से यदि prompt रूप से निपटा न जाए तो त्रुटि या घटना का जोखिम बढ़ सकता है।
**सरकारी प्रतिक्रिया**
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एक तकनीकी समीक्षा शुरू की है और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग व एटीसी लॉग एकत्र कर रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय यह भी मूल्यांकन कर रहा है कि क्या यह हस्तक्षेप सीमा पार की इलेक्ट्रॉनिक गतिविधि से उत्पन्न हुआ था। हालांकि, अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया है कि अब तक कोई निर्णायक आरोप नहीं लगाया गया है।




