अमेरिका में 5.5 करोड़ से अधिक विदेशी नागरिकों के वीज़ा की समीक्षा की जा रही है। जो विदेशी आप्रवासन नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उनके वीज़ा रद्द किए जाएंगे और उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाएगा। इस जांच के कारण पाकिस्तानी नागरिकों और छात्रों में डर का माहौल है। वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास के अनुसार, लगभग 7 लाख से 10 लाख पाकिस्तानी अमेरिका में रहते हैं, जिनमें से अधिकांश अमेरिकी नागरिक बन चुके हैं या लंबे समय से यहाँ रह रहे हैं। हालांकि, इनकी सटीक संख्या अभी तक पता नहीं चल पाई है।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, आपराधिक गतिविधियों, आतंकी गतिविधियों या अमेरिका विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने और वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुकने पर कार्रवाई की जाएगी। विदेशी नागरिकों के सोशल मीडिया खातों की भी जांच की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि उनके देश में कोई कानूनी कार्रवाई तो नहीं चल रही है। अमेरिकी नागरिकों, संस्कृति, सरकार या संस्थानों के प्रति किसी भी प्रकार की दुश्मनी के संकेत मिलने पर भी कार्रवाई की जाएगी।
मैरीलैंड के बाल्टीमोर की एक छात्रा समीना अली ने बताया कि वे और उनके कुछ दोस्त फिलिस्तीन के मुद्दे पर हुए प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। अब, सभी को डर है कि कहीं उनका वीज़ा रद्द न हो जाए या उन्हें वापस न भेज दिया जाए।
इस साल 12,000 पाकिस्तानी छात्र अमेरिका पहुंचेंगे। 2025 तक पाकिस्तानी छात्रों की संख्या बढ़कर लगभग 12,500 हो जाएगी। पाकिस्तानी अधिकारी छात्रों को कानूनी दस्तावेजों और राजनीतिक गतिविधियों को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन और कॉलेज यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध प्रदर्शनों की घटनाओं की सूचना अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) को देनी होगी। हाल ही में, उत्तरी वर्जीनिया की एक अदालत ने 2 पाकिस्तानी छात्रों को बताया कि अदालतों को अब ट्रैफिक उल्लंघन के रिकॉर्ड DHS के साथ साझा करना आवश्यक है।
बाल्टीमोर के एक छात्र यूनुस खान ने कहा, “हम शिकागो जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन हमें ऐसा न करने की सलाह दी गई है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी वीज़ा रद्द होने का कारण बन सकती है।” दूसरी ओर, पाकिस्तानी दूतावास ने कहा है कि वह हालात पर नजर रख रहा है और राजनीतिक गतिविधियों में सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है।
जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के छात्र मोहम्मद साजिद ने कहा कि इस वजह से अल्पकालिक नौकरियां करना भी मुश्किल हो गया है। राजनीतिक शरण चाहने वाले पाकिस्तानियों के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।