नेपाल में हाल ही में हुए युवा आंदोलन के बाद, अब फिलीपींस में भी राजनीतिक संकट गहरा गया है। दक्षिण-पूर्व एशिया का यह देश और चीन का पड़ोसी, भ्रष्टाचार और नेताओं के बच्चों की जीवनशैली के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों से जूझ रहा है। राजधानी मनीला में 21 सितंबर को ‘ट्रिलियन पेसो मार्च’ का आयोजन किया गया, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया।

यह आंदोलन सरकारी धन के घोटालों और ‘नेपो बेबीज़’ (नेताओं के बच्चों) की आलीशान जीवनशैली के खिलाफ है। फिलीपींस में जनता का गुस्सा बाढ़ और भ्रष्टाचार से उपजी मानवीय त्रासदी के कारण भी है। भीषण बाढ़ ने देश को तबाह कर दिया, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए। सोशल मीडिया पर भी जनता का गुस्सा फूट पड़ा, जहाँ नेताओं को मगरमच्छों के रूप में दिखाया गया और नेपो बेबीज़ की आलोचना की गई।
‘ट्रिलियन पेसो मार्च’ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें जलवायु और बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। एक ऑडिट में यह भी सामने आया कि बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के लिए आवंटित धन का एक बड़ा हिस्सा घोटालों में गायब हो गया। इस वजह से राष्ट्रपति के करीबी और संसद के स्पीकर को इस्तीफा देना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने 21 सितंबर की तारीख चुनी, जो 1972 में मार्शल लॉ की शुरुआत का प्रतीक है। जनता का मानना है कि अगर जवाबदेही तय नहीं की गई, तो यह आंदोलन नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन ला सकता है।





