अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में हुई मुलाकात खत्म हो गई है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अभी भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। यह मुलाकात 10 साल बाद पुतिन की अमेरिका यात्रा के कारण ऐतिहासिक मानी जा रही थी। हालांकि, उम्मीदें बड़ी थीं, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे।
लगभग तीन घंटे की बातचीत के बाद भी यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी 12 मिनट में निपटा दिया, जिसमें मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया गया। ट्रंप-पुतिन वार्ता ने स्पष्ट कर दिया कि संवाद आवश्यक है, लेकिन कठिन।
**सकारात्मक पहलू:**
* **पुतिन का वैश्विक मंच पर लौटना:** अलास्का बैठक का सबसे बड़ा आकर्षण यह रहा कि व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी धाक जमाते नजर आए। यूक्रेन पर 2022 में हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस को अलग-थलग कर दिया था और उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन अब पुतिन की वापसी सीधे दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई। ट्रंप ने पुतिन का स्वागत न केवल रेड कार्पेट बिछाकर, बल्कि तालियों और मुस्कुराहटों से किया।
* **ट्रंप, पुतिन के लिए राजनयिक समर्थन करेंगे:** ट्रंप ने पुतिन का स्वागत करते हुए संकेत दिया कि वे उनके लिए राजनयिक समर्थन करने को तैयार हैं। यह संदेश अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी यूरोपीय देशों के बीच गया कि ट्रंप की प्राथमिकता रूस को बातचीत की मेज पर बनाए रखना है, भले ही इसके लिए पश्चिमी एकजुटता पर दबाव क्यों न पड़े।
* **भारत की भूमिका और ट्रंप का दांव:** इस बैठक के राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बातचीत से पहले ट्रंप ने भारत के रूस से तेल आयात को निशाना बनाते हुए बयान दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दबाव भारत के माध्यम से रूस को संदेश देने की ट्रंप की रणनीति का हिस्सा था।
**नकारात्मक पहलू:**
* **युद्ध जारी रहेगा:** बातचीत के बावजूद युद्ध जारी रहने की आशंका है। किसी भी समझौते पर न पहुंच पाने से जमीनी हालात जस के तस बने रहेंगे और आम लोगों की पीड़ा बढ़ती जाएगी।
* **यूरोप और अमेरिका के बीच भरोसे की कमी:** अगर अमेरिका रूस के प्रति नरमी दिखाता है, तो यूरोपीय राष्ट्रों को लग सकता है कि उनके सुरक्षा हितों को दरकिनार किया जा रहा है।
* **अमेरिका के लिए संतुलन साधना:** अमेरिका के लिए रूस और यूरोप के बीच संतुलन साधना एक चुनौती होगी।