कुछ समय पहले तक, यूरोप के लिए यूक्रेन की सहायता करना और रूस को यूक्रेन युद्ध तक सीमित रखना मुख्य चिंता का विषय था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। यूरोपीय देश अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और रूस के साथ युद्ध की तैयारी शुरू हो गई है। यह सब पोलैंड से शुरू होकर कई देशों में ड्रोन की घुसपैठ के बाद हुआ है। रूस ने अभी तक इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन या तो यूरोप को डराकर यूक्रेन से उनका ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर यूरोप के साथ आर-पार की तैयारी शुरू हो चुकी है।
आसमान में मंडराने वाले, बिना बम या बारूद के ड्रोन भविष्य में परमाणु विस्फोट का कारण बन सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से ड्रोन सिर्फ रूस या यूक्रेन में धमाकों का कारण नहीं बन रहे हैं। इन दोनों देशों की सीमाओं से दूर, पिछले कई दिनों से देखे जा रहे ड्रोन एक ऐसी चिंगारी भड़का रहे हैं जिससे आधी दुनिया आग में झुलस सकती है। लिस्ट बहुत लंबी होती जा रही है। यूरोप के कई देश अज्ञात ड्रोन की घुसपैठ से सतर्क हैं। रूस चुप है, लेकिन यूरोप का मानना है कि यह सब रूस के ‘यूरोप मिशन’ का हिस्सा है।
नवीनतम खबर यह है कि जर्मनी में फिर से ड्रोन से निगरानी की गई। नीदरलैंड्स में भी ड्रोन की घुसपैठ हुई, जिससे जासूसी का संदेह है। ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं ने यूरोप को विश्वास दिलाया है कि एक बड़े युद्ध की शुरुआत होने वाली है। फिलहाल ड्रोन को गिराने की तैयारी चल रही है, लेकिन अब यूरोपीय देश महायुद्ध की तैयारी में जुट गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोपीय हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के प्रति किसी भी तरह की कमजोरी नहीं दिखानी चाहिए, हम रूस के साथ टकराव में हैं।
फ्रांस रूस के साथ युद्ध और मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है, क्योंकि कई कारणों से पुतिन ‘यूरोप मिशन’ चलाने के लिए मजबूर हुए हैं। रूस में कई रिफाइनरियां जल गईं, गैस स्टेशन जले और यूक्रेन ने रूस को तेल की कमी से जूझने पर मजबूर कर दिया। रूस में हथियारों की वर्षा हो रही है और यह हथियार यूरोप ने ही यूक्रेन को दिए हैं। अब सवाल है कि क्या रूस यूरोप से बदला नहीं लेगा? क्या पुतिन इतने बड़े नुकसान पर चुप रहेंगे? क्या अब यूरोप ही रूस का सबसे बड़ा दुश्मन नहीं है?
जर्मनी में समुद्र की दिशा से ड्रोन आया
यूरोप इन सवालों का जवाब अच्छी तरह जानता है, इसलिए जर्मनी हो या फ्रांस, नाटो सेना एक बड़े युद्ध की तैयारी में जुट गई है। युद्ध की चिंगारी भड़क ही नहीं रही, बल्कि झड़पें भी शुरू हो गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी के लिए ड्रोन घुसपैठ चिंता का विषय है क्योंकि ड्रोन संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरा। कई महत्वपूर्ण ठिकानों की तस्वीरें लेने का संदेह है और जर्मनी के नौसैनिक ठिकानों की जासूसी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन बिजली संयंत्रों, अस्पतालों और सरकारी इमारतों से गुजरा। जर्मनी मीडिया के अनुसार, दो ड्रोन पहले तटीय क्षेत्रों में देखे गए। फिर कुछ देर बाद ड्रोन का एक झुंड जर्मनी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से गुजरा। जर्मनी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की ड्रोन से निगरानी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी के श्लेसविच-होल्स्टीन शहर के ऊपर ड्रोन देखा गया। जर्मनी के शहर में ड्रोन चक्कर लगाता रहा। अज्ञात ड्रोन की उड़ान से हड़कंप मच गया, लेकिन कुछ देर बाद ड्रोन वापस लौट गया। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण ठिकानों से ड्रोन गुजरा।
रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी में समुद्र की दिशा से ड्रोन आया और सबसे पहले तिसेनखोप शिपयार्ड के ऊपर देखा गया। यह शिपयार्ड जर्मनी का बेहद सुरक्षित इलाका है। इसके अलावा, ड्रोन हाइडे रिफाइनरी से गुजरा और हैम्बर्ग हवाई अड्डे के पास भी अज्ञात ड्रोन देखे जाने से हड़कंप मच गया। यही कारण है कि यूरोप रूस से युद्ध की तैयारी में जुट गया है। नाटो की ताकत बढ़ाने के लिए, यूरोपीय देश अब सुरक्षा पर अपना खर्च बढ़ाने जा रहे हैं।
रूस से सटे एस्टोनिया में ड्रोन के लिए रडार
पहले, नाटो पर सबसे अधिक खर्च अमेरिका कर रहा था, लेकिन अब छोटे-छोटे देश भी अपना योगदान बढ़ा रहे हैं। पुतिन को लगता है कि यूरोप की वजह से ही युद्धविराम नहीं हो रहा है और रूस यूक्रेन के जिन क्षेत्रों पर कब्जा चाहता है, वह मिशन पूरा नहीं हो रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि यूक्रेन को कमजोर करने के लिए रूस, यूरोप को भी किसी मोर्चे पर युद्ध में उलझा सकता है।
अब यूरोप एक ड्रोन दीवार बना रहा है, जिसका उद्देश्य रूसी हमलों को नाकाम करना है। रूस से सटे एस्टोनिया में ड्रोन के लिए रडार लगाए जा रहे हैं। लातविया में भी ड्रोन की उपस्थिति पकड़ने वाले रडार होंगे। लिथुआनिया में भी चौकसी बढ़ेगी और तीनों देशों में अर्ली वार्निंग सिस्टम तैनात होंगे। इसके अलावा, फिनलैंड में भी ऐसी ही व्यवस्था करने की योजना है। स्वीडन में भी कई रडार लगाने जा रहे हैं। नॉर्वे में भी अर्ली वार्निंग सिस्टम तैनात रहेंगे। इसके अलावा, ड्रोन को गिराने के लिए एयर डिफेंस भी तैनात रहेंगे। एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे – हर जगह ऐसी सतर्कता होगी कि रूस के ड्रोन हमले को आगे न बढ़ने दिया जाए और यूरोप के सभी देश सुरक्षित रहें।
नॉर्वे में भी ड्रोन से दहशत मची
फिनलैंड से रूस का क्रोध बढ़ाने वाली एक और खबर आई है। रूस सीमा पर एस्टोनिया के नारवा में एक बेस बनाने जा रहा है। बेस पर हर वक्त 200 सैनिकों की तैनाती रहेगी, इसके अलावा हथियार भी जमा रहेंगे। नीदरलैंड्स में भी अब रूस से निपटने की तैयारी शुरू हो गई है क्योंकि यहां एयरपोर्ट के ऊपर अज्ञात ड्रोन से हड़कंप मचा। नॉर्वे में भी ड्रोन से दहशत मची। ड्रोन नॉर्वे के ब्रियोनेसुन हवाई अड्डे के ऊपर देखा गया। यहां दो बार लगातार ड्रोन देखे गए। हवाई अड्डे के पास 30 सितंबर को ड्रोन देखा गया था। ड्रोन के कारण हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा और उड़ानों को डायवर्ट किया गया।
रूस का ड्रोन जर्मनी में संसद के मुख्यालय के ऊपर से भी गुजरा, इसलिए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो चुकी है। रूस की ओर से खामोशी है, लेकिन फ्रांस और जर्मनी को एहसास हो गया है कि अब महायुद्ध करीब है। हालांकि, वॉर एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस यूरोप को युद्ध के माहौल में उलझाना चाहता है ताकि यूक्रेन यूरोप की प्राथमिकता न रहे और यूक्रेन में कब्जे का मिशन आगे बढ़ सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस यूरोप को डरा रहा है ताकि यूरोप अपनी सुरक्षा के उपाय करे और यूक्रेन को मिल रही मदद पर विराम लग सके। माना जा रहा है कि बाल्टिक क्षेत्र में यूरोप को उकसाने वाले और एक्शन हो सकते हैं।