सऊदी अरब का नाम आते ही तेल और मक्का-मदीना जैसे पवित्र स्थल याद आते हैं, लेकिन अब यह रेगिस्तानी साम्राज्य सिर्फ इन्हीं चीजों तक सीमित नहीं है। ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब दुनिया की 145 सैन्य ताकतों में 24वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि यह देश अब हथियारों और सेना की ताकत के लिए भी जाना जाता है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते के कारण आज हम इसकी सैन्य ताकत की बात कर रहे हैं, जिसके तहत किसी एक देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा। इस समझौते ने एशिया में हलचल मचा दी है, क्योंकि इसमें पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का विकल्प भी शामिल है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच हुए इस करार को खाड़ी और दक्षिण एशिया की सुरक्षा को बदलने वाला कदम माना जा रहा है।
सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए दशकों तक अमेरिका पर निर्भरता की धारणा रही है, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। आज सऊदी के पास एक शक्तिशाली सेना और आधुनिक हथियारों का भंडार है। अमेरिका और यूरोप से खरीदे गए लड़ाकू विमान और टैंकों के अलावा, उसने चीन के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ाया है। यही वजह है कि यह देश अब पश्चिम एशिया की राजनीति में अमेरिका और चीन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है।
सऊदी अरब के पास लगभग 3.5 करोड़ की आबादी के साथ 2.57 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसके अतिरिक्त, 1.5 लाख अर्धसैनिक जवान भी तैनात हैं। सेना की तीनों शाखाओं – आर्मी, एयरफोर्स और नेवी – में जवानों की मजबूत मौजूदगी इसे किसी भी बाहरी खतरे से निपटने के लिए तैयार करती है। दिलचस्प बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर सक्रिय जवान होने के बावजूद सऊदी के पास कोई रिजर्व फोर्स नहीं है, यानी इसकी पूरी ताकत हर समय मोर्चे पर सक्रिय रहती है।
सऊदी की सबसे बड़ी ताकत उसकी एयरफोर्स है। रॉयल सऊदी एयर फोर्स (RSAF) के पास एक हजार से ज्यादा विमान हैं, जिनमें अमेरिकी F-15E स्ट्राइक ईगल, ब्रिटेन के टॉरनेडो IDS और यूरोप के यूरोफाइटर टाइफून सबसे महत्वपूर्ण हैं। फाइटर जेट्स के अलावा, देश के पास 185 से ज्यादा हेलीकॉप्टर हैं, साथ ही ट्रेनिंग और ट्रांसपोर्ट के लिए भी बड़ी संख्या में विमान मौजूद हैं। इस हवाई ताकत ने सऊदी को मध्य पूर्व का ऐसा देश बना दिया है जो दुश्मनों पर हवा से किसी भी समय भारी पड़ सकता है।
जमीनी मोर्चे पर भी सऊदी अरब पीछे नहीं है। 22,860 से ज्यादा हथियारों के साथ इसकी थल सेना खाड़ी क्षेत्र की सबसे मजबूत फौज मानी जाती है। इसमें अमेरिकी अब्राम्स टैंक से लेकर पैटन और पैलाडिन तक शामिल हैं। हाल ही में सऊदी ने अमेरिका से 177 आधुनिक M109A6 टैंक भी ऑर्डर किए हैं, जबकि 156 सीज़र SPH ट्रक इसके नेशनल गार्ड के पास पहले से मौजूद हैं। इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स, यूटिलिटी व्हीकल्स और एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम इस जमीनी ताकत को और भी खतरनाक बनाते हैं।
सऊदी की नौसेना अभी विकास के दौर में है, लेकिन इसके पास पहले से ही 62 युद्धपोत मौजूद हैं, जिनमें फ्रिगेट्स, कॉर्वेट्स और पेट्रोल शिप्स शामिल हैं। अमेरिका से चार फ्रीडम-क्लास मल्टी-मिशन वारशिप्स भी ऑर्डर पर हैं, जो आने वाले समय में इसे और आधुनिक बनाएंगे। खाड़ी के सामरिक जलमार्गों पर पकड़ के लिए यह नौसेना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।