सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने हाल ही में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच गहरे होते संबंधों के साथ-साथ मध्य पूर्व की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण मुद्दा छाया रहा: क्या सऊदी अरब, अब्राहम एकॉर्ड में शामिल होगा?

MBS ने स्पष्ट किया कि रियाद इस समझौते का हिस्सा बनने के लिए तैयार है, लेकिन उनकी एक मुख्य शर्त है। यह शर्त फलस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में एक व्यवहार्य मार्ग प्रशस्त करना है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हम सभी मध्य पूर्वी देशों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं और अब्राहम एकॉर्ड का हिस्सा बनना चाहते हैं। लेकिन हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दो-राज्य समाधान का एक स्पष्ट मार्ग प्रशस्त हो।”
ट्रम्प ने भी इस बात की पुष्टि की कि दोनों के बीच इस मुद्दे पर “स्वस्थ चर्चा” हुई है और उन्होंने जल्द से जल्द इसके लिए सही माहौल तैयार करने पर जोर दिया। सऊदी अधिकारी कई महीनों से कहते आ रहे हैं कि उनका देश ‘अरब पीस इनिशिएटिव’ का समर्थन करता है। नवंबर 2023 में, ट्रम्प ने भी इस विषय पर MBS के साथ “अच्छी बातचीत” की पुष्टि की थी, जिसमें एक-राज्य और दो-राज्य समाधान दोनों पर चर्चा हुई थी।
इस मुलाकात में रक्षा समझौते भी महत्वपूर्ण रहे। जब रक्षा संधि को लेकर सवाल पूछा गया, तो ट्रम्प ने कहा, “हमने लगभग एक समझौते पर पहुँच लिया है।” यह भी बताया गया कि सऊदी अरब F-35 लड़ाकू विमानों की मांग कर रहा है, और ट्रम्प ने इन विमानों को रियाद को बेचने की मंजूरी दे दी है, भले ही अमेरिका की नीति पारंपरिक रूप से इजरायल की सैन्य श्रेष्ठता का समर्थन करती रही है।
ईरान का मुद्दा भी चर्चा का केंद्र रहा। ट्रम्प ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाई का उल्लेख किया, लेकिन बाद में कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत के लिए खुलेपन का संकेत दिया। MBS ने भी इस्राइल और ईरान के बीच किसी भी संभावित समझौते को सुविधाजनक बनाने में सऊदी अरब की मदद करने की पेशकश की।
निवेश के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण समझौते हुए। ट्रम्प ने सऊदी अरब द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में “600 अरब डॉलर” के निवेश की घोषणा की, जिसके बढ़ने की उम्मीद है। MBS के अनुसार, AI से लेकर दुर्लभ धातुओं तक, निवेश के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं और कुल निवेश “ट्रिलियन डॉलर” के आंकड़े को पार कर सकता है।
कुल मिलाकर, इस बैठक ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि सऊदी अरब अब्राहम एकॉर्ड की ओर बढ़ने के लिए तैयार है, लेकिन केवल तभी जब वाशिंगटन एक स्थायी दो-राज्य समाधान की दिशा में एक ठोस और अपरिवर्तनीय मार्ग सुनिश्चित करने में मदद करे। रक्षा सौदे, ईरान वार्ता और निवेश जैसे अन्य सभी मुद्दे इसी मुख्य शर्त के इर्द-गिर्द घूमते नजर आए।





