भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों की क्षमता में एक बड़ा इजाफा होने वाला है। इजराइल की प्रतिष्ठित RAFAEL एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने अपने अगली पीढ़ी के स्काई स्टिंग बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) को HAL तेजस Mk1A लड़ाकू जेट के साथ एकीकृत करने का प्रस्ताव दिया है। भारत-इजराइल रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। स्काई स्टिंग को लंबी दूरी की हवाई लड़ाइयों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर तक बताई जा रही है। यदि यह मिसाइल तेजस में शामिल होती है, तो यह चीन की PL-15 जैसी उन्नत मिसाइलों के खिलाफ भारतीय वायुसेना को एक निर्णायक बढ़त दिला सकती है।
इजरायली रक्षा सूत्रों के अनुसार, तेजस Mk1A के ELM-2052 AESA रडार और डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) की वजह से स्काई स्टिंग का एकीकरण तेजी से होने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया में लगभग 18 महीने लगने का अनुमान है, जिसके लिए कुछ लाइव फायरिंग परीक्षणों के बाद इसे पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा।
RAFAEL ने जुलाई 2025 में तेल अवीव में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों के दौरान यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। यह एकीकरण के विकल्प भारत के सुखोई Su-30MKI लड़ाकू विमानों के लिए भी पेश किए गए हैं। प्रारंभिक चरण में 200-300 मिसाइलों की आपूर्ति 2026 के मध्य तक हो सकती है।
लगभग 180-200 किलोग्राम वजनी स्काई स्टिंग, उच्च गति से उड़ान भरने और लंबी दूरी तक लक्ष्य भेदने के लिए एक तीन-चरणीय रॉकेट मोटर का उपयोग करती है। यह मिसाइल मध्य-उड़ान मार्गदर्शन के लिए GPS और इनर्टियल नेविगेशन का उपयोग करती है, और अंतिम हमले के दौरान एक एक्टिव RF सीकर्स पर स्विच हो जाती है। मिसाइल में टू-वे डेटा लिंक भी है, जो पायलटों को उड़ान के दौरान लक्ष्य बदलने की सुविधा देता है। इसकी उच्च-विस्फोटक वारहेड दुश्मन के विमानों को भारी इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के बीच भी नष्ट करने में सक्षम है।
कैप्टिव फ्लाइट ट्रायल छह महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद लाइव परीक्षण होंगे। इससे मिसाइल 2027 के मध्य तक सेवा में आ सकेगी। स्काई स्टिंग के शामिल होने से तेजस Mk1A और Su-30MKI दोनों बेड़ों की हवाई श्रेष्ठता क्षमताएं काफी मजबूत होंगी। यह इजरायली BVRAAM, भारत के स्वदेशी अस्त्र MkIII मिसाइल कार्यक्रम में हो रही देरी के बीच क्षमता अंतर को पाटने में मदद कर सकती है, और भारत-इजराइल की बढ़ती रणनीतिक रक्षा साझेदारी में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है।