न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा युद्ध को तुरंत रोकने का आह्वान किया। इसके बाद, उन्होंने अरब और मुस्लिम देशों के प्रमुख नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, ताकि समाधान खोजा जा सके। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब वॉशिंगटन पर मध्य-पूर्व की कूटनीति को संभालने का दबाव बढ़ गया है। इजराइल-हमास युद्ध ने पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है, और अमेरिका को अपने अरब सहयोगियों के साथ मिलकर एक ठोस समाधान खोजने की आवश्यकता है। हालांकि, बैठक के बाद ट्रंप सीधे संवाद से बचते हुए, केवल हाथ हिलाकर चले गए। उनकी चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए। उनके विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने पत्रकारों की ओर इशारा किया कि चर्चा सकारात्मक रही। बैठक में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान के नेता शामिल हुए। बातचीत का मुख्य एजेंडा गाजा में स्थायी युद्धविराम, सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई और मानवीय सहायता पहुंचाना था। ट्रंप ने बैठक से पहले कहा कि यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह युद्ध बहुत लंबा खिंच चुका है और इसे समाप्त होना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बंधकों की रिहाई और गाजा में बिगड़ते मानवीय संकट पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। दूसरी ओर, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने इसे बहुत फलदायी बातचीत बताया और कहा कि जल्द ही एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा, लेकिन उन्होंने इसमें शामिल विवरणों का खुलासा नहीं किया। बैठक में फिलिस्तीन पर क्या चर्चा हुई, इसकी कोई जानकारी फिलहाल नहीं है। हालांकि, UNGA में अपने भाषण के दौरान, ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देना हमास को पुरस्कृत करने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग एकतरफा रूप से फिलिस्तीन को मान्यता देना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने का मतलब हमास को प्रोत्साहन देना होगा। उन्होंने कहा कि हमास ने बार-बार शांति प्रयासों को ठुकराया है। ट्रंप ने कहा कि हमें बंधकों को वापस लाना होगा। हम सभी 20 को वापस चाहते हैं। हम दो और चार नहीं चाहते। हालांकि बैठक के ठोस परिणाम सामने नहीं आए, लेकिन यह स्पष्ट है कि अरब देशों के बीच गाजा युद्ध को रोकने को लेकर गंभीरता बढ़ी है, बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता पहुंचाना फिलहाल प्राथमिकता बताई जा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह बैठक वास्तव में गाजा युद्ध को रोकने की दिशा में कोई ठोस परिणाम ला पाती है या सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता बनकर रह जाती है।


