अमेरिकी शरणार्थी नीति में बड़ा बदलाव: ट्रंप प्रशासन ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए शरणार्थियों की संख्या को घटाकर 7,500 कर दिया है। इस फैसले की खास बात यह है कि इसमें बड़ी संख्या में श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह कदम अमेरिका की बदलती मानवीय प्राथमिकताओं और वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों के लिए सुरक्षित आश्रय के रूप में उसकी छवि पर सवाल खड़े कर रहा है।
यह घोषणा संघीय रजिस्टर में गुरुवार को प्रकाशित एक सूचना के माध्यम से की गई। प्रशासन ने इस भारी कटौती का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, जो कि बाइडेन प्रशासन द्वारा निर्धारित 1,25,000 की सीमा से काफी कम है। मेमो में केवल यह कहा गया है कि 2026 वित्तीय वर्ष के लिए 7,500 शरणार्थियों की नई सीमा “मानवीय चिंताओं से उचित है या अन्यथा राष्ट्रीय हित में है”।
**श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों पर विशेष ध्यान:**
गृहभूमि सुरक्षा विभाग ने नवंबर के अंत तक 6,000 श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को बसाने का लक्ष्य रखा है। एक वरिष्ठ प्रशासन अधिकारी के अनुसार, “यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक एकीकरण को ध्यान में रखकर लिया गया है। दक्षिण अफ्रीका का श्वेत समुदाय अमेरिकी मूल्यों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है और समाज में जल्दी घुलमिल सकता है।” हालांकि, मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस बयान की निंदा करते हुए इसे नस्लवादी बताया है। समूह ने कहा, “यह शरणार्थी कार्यक्रम को दुनिया के सबसे कमजोर लोगों की मदद करने वाले कार्यक्रम से एक नस्लीय रूप से चयनात्मक प्रक्रिया में बदल देता है।”
**पिछली सीमाओं से बड़ी गिरावट:**
ट्रम्प के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान, शरणार्थी सीमा को पहले ही 1,10,000 से घटाकर 15,000 कर दिया गया था। 7,500 की नई सीमा उस संख्या से 50 प्रतिशत कम है। यह निर्णय वैश्विक शरणार्थी संकट के बीच आया है, जहां संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2025 में 12 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से अधिकांश मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नई नीति के तहत, वास्तव में केवल 5,000-6,000 शरणार्थी ही स्वीकार किए जाएंगे, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत श्वेत दक्षिण अफ्रीकी होंगे।
**नीति पर आलोचना:**
इस फैसले ने मानवाधिकार समूहों और विपक्षी नेताओं के बीच व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। उन पर नस्लीय पूर्वाग्रह और वैश्विक मानवीय प्रतिबद्धताओं को कमजोर करने का आरोप लगाया जा रहा है। आलोचकों का तर्क है कि इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम को नस्लीय आधार पर फिर से आकार देना है। यह निर्णय फरवरी 2025 में शुरू की गई “मिशन साउथ अफ्रीका” पहल का भी विस्तार है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पुनर्वास के लिए अंग्रेजी बोलने वाले श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को प्राथमिकता देने पर केंद्रित है।
 






