अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने के लिए एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए चीन से मदद की गुहार लगाई है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ नियोजित बैठक रद्द होने के बाद, ट्रम्प ने अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर उम्मीदें टिका दी हैं, यह विश्वास करते हुए कि शी मास्को को युद्धविराम के लिए राजी कर सकते हैं।
ट्रम्प ने पुतिन के साथ हुई बातचीत पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “हर बार जब मैं व्लादिमीर से बात करता हूं, तो हमारी अच्छी बातचीत होती है, लेकिन वे कहीं नहीं पहुंचती।” व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि पुतिन के साथ ट्रम्प की निर्धारित मुलाकात रद्द कर दी गई है, जिसका कारण शांति की दिशा में सार्थक प्रगति की कमी बताया गया है।
शी जिनपिंग की भूमिका पर ट्रम्प का भरोसा
दक्षिण कोरिया में अगले महीने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी आगामी मुलाकात से पहले, ट्रम्प ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि शी मास्को को बातचीत की मेज पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ट्रम्प ने कहा, “मुझे लगता है कि उनका पुतिन पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। वह एक सम्मानित व्यक्ति हैं, एक बहुत मजबूत नेता हैं। हम निश्चित रूप से रूस और यूक्रेन के बारे में बात करेंगे।” इससे यह संकेत मिलता है कि चीन का रूस पर प्रभाव संघर्ष को समाप्त करने में सहायक हो सकता है।
वॉशिंगटन का मॉस्को पर नया दबाव
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा की है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य क्रेमलिन के युद्ध अभियानों के लिए धन प्रवाह को रोकना है। ट्रेजरी विभाग ने कहा, “आज की कार्रवाइयां रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर दबाव बढ़ाती हैं और क्रेमलिन की अपनी युद्ध मशीन के लिए राजस्व जुटाने और उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था का समर्थन करने की क्षमता को कमजोर करती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करना जारी रखेगा, और स्थायी शांति पूरी तरह से रूस की सद्भावना से बातचीत करने की इच्छा पर निर्भर करती है।”
प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत का जिक्र
इस बीच, ट्रम्प ने यह भी घोषणा की कि भारत इस साल के अंत तक रूसी तेल की खरीद बंद कर देगा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी “अत्यंत शानदार” बातचीत हुई थी। यह उस दावे के कुछ दिनों बाद आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें फोन पर वादा किया था कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा, हालांकि विदेश मंत्रालय ने बाद में इस बात का खंडन किया था।