अमेरिका भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर लगातार नए दावे कर रहा है। इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन विवाद को समाप्त करने के लिए भारत पर टैरिफ लगाया है। उनका कहना था कि ट्रंप चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच चल रहा संघर्ष खत्म हो जाए।
गौरतलब है कि अमेरिका ने पहले भारत पर 25% का टैरिफ लगाया था, लेकिन कुछ दिन बाद 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ बढ़ाकर इसे दोगुना कर दिया गया। अब भारत पर अमेरिका द्वारा कुल 50% टैरिफ लगाया जाता है।
प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए लोगों पर ज़बरदस्त दबाव डाला है। लेविट ने कहा कि ट्रंप हमेशा से चाहते हैं कि रूस और यूक्रेन संघर्ष को विराम दिया जाए। लेविट ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच चल रहा संघर्ष जल्द से जल्द खत्म हो। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने जेलेंस्की से कहा कि वह पुतिन के साथ वार्ता कर इस संघर्ष को खत्म करें। लेविट ने कहा कि इस बैठक में नाटो महासचिव सहित सभी यूरोपीय नेता शामिल हुए और सभी इस बात पर सहमत हैं कि ट्रंप शानदार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद राष्ट्रपति को उम्मीद है कि दोनों नेता एक दूसरे के साथ बैठकर इस युद्ध को खत्म करने को लेकर बातचीत कर सकते हैं।
लेविट ने कहा कि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए ट्रंप द्वारा किए गए प्रयासों का ही नतीजा है कि पुतिन से उनकी बैठक के 48 घंटे के भीतर युरोपीय नेता व्हाइट हाउस में उपस्थित हो सके। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन और ट्रंप की बैठक के 48 घंटे के बाद राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में सभी यूरोपीय नेताओं से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच शांति समझौते को लेकर अपने विचारों को साझा किया और वे सभी ट्रंप के प्रयास की सराहना कर रहे हैं।
लविट ने अपने बयान में फिर इस दावे को दोहराते हुए कहा कि अगर उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप होते तो रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेता ट्रंप के आभारी हैं कि वह दोनों देशों के बीच शांति समझौते करवाने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि इससे पिछली सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया था और ये बात रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने खुद भी स्वीकार की थी।