5 सितंबर को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है. अगले ही दिन उन्होंने कहा कि वो हमेशा नरेंद्र मोदी के दोस्त रहेंगे. उनका कहना था कि पीएम मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं, लेकिन उन्हें कुछ खास मामलों में उनके काम पसंद नहीं आ रहे हैं.
ट्रंप ने भारत पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने की भी बात कही. तो चलिए जानते हैं कि अचानक ट्रंप के सुर बदलने की क्या वजहें हैं:
1. **रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की नाराजगी**: अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, जिसमें 25% पेनल्टी के तौर पर था, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा था. अमेरिका का मानना है कि इससे रूस को युद्ध में मदद मिल रही है, जबकि भारत ने तेल खरीदना जारी रखा, यह कहते हुए कि यह राष्ट्रीय हित में है.
2. **वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती सक्रियता**: प्रधानमंत्री मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने चीनी और रूसी राष्ट्रपतियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इससे अमेरिका को संदेश गया कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर भी मजबूत रुख रखता है.
3. **अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ में कटौती से इनकार**: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर सहमति नहीं बन पाई है क्योंकि भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर कम टैरिफ लगाने की अमेरिका की मांग को खारिज कर दिया, घरेलू किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए.
4. **ब्रिक्स समिट में भारत की भागीदारी**: विदेश मंत्री एस जयशंकर ब्रिक्स की वर्चुअल समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिसमें अमेरिकी टैरिफ से निपटने के तरीकों पर चर्चा होगी. अमेरिका ने ब्राजील पर भी टैरिफ लगाया है, जो फिलहाल ब्रिक्स का अध्यक्ष है.
5. **ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में नाराजगी**: ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो के रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत को लेकर दिए गए बयानों पर अमेरिका में नाराजगी देखी गई. पूर्व NSA जेक सुलिवन ने भी ट्रंप के टैरिफ को अमेरिका के हितों के लिए रणनीतिक नुकसान बताया.