भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर रिश्तों में खटास आ गई है, जिसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की भारत-पाकिस्तान के बीच के मुद्दों पर की गई बयानबाजी भी है। भारत की चुप्पी से अमेरिका चिंतित है और बातचीत करना चाहता है।
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है। अब वह इस मामले पर भारत के साथ बातचीत करना चाहता है। अमेरिका इस मुद्दे पर भारत सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ फिर से बातचीत शुरू करने का इच्छुक है।
भारत के कड़े रुख के बाद, अमेरिकी प्रशासन ने संकेत दिया है कि भारत विरोधी बयान दबाव की रणनीति का हिस्सा थे। बातचीत शुरू न होने पर अमेरिका ने भारत से जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी कार्रवाई की धमकी दी है।
अमेरिका किसी भी कीमत पर भारत को अलग नहीं करना चाहता, इसलिए बातचीत का संकेत दिया गया है। अमेरिका भारत को एक सहयोगी के रूप में बनाए रखना चाहता है।
अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर भी सौदेबाजी के लिए दबाव डाला था। रूस और चीन के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के कारण अमेरिका ने अपनी रणनीति बदल दी है। अमेरिका का संदेश है कि पहले भारत आगे बढ़े, फिर ट्रंप भी अपना रवैया बदलेंगे। इससे साफ है कि ट्रंप भी इस टैरिफ विवाद पर खुलकर बातचीत करना चाहते हैं और भारत के साथ इस तनाव को खत्म करना चाहते हैं।
भारत अपनी तेल भंडारण का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रूस से खरीदता है। अमेरिका को इस खरीद पर आपत्ति है। ट्रंप ने पहले खरीदारी बंद करने की बात कही थी, लेकिन भारत ने रूस से खरीदारी जारी रखी। इससे नाराज होकर ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की। ट्रंप ने कहा था कि भारत की तेल खरीद से रूस को पैसा मिल रहा है जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है।