रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल से अधिक समय हो गया है, और अब यह युद्ध पूरे यूरोप में फैलने की संभावना बढ़ गई है। यह युद्ध अब केवल यूक्रेन और रूस के बीच सीमित नहीं रहा है, बल्कि अन्य देशों की सेनाएँ भी इसमें शामिल हो गई हैं। पिछले तीन वर्षों से, अमेरिका और यूरोपीय देश यूक्रेन को युद्ध के लिए आर्थिक सहायता और हथियार प्रदान कर रहे थे, लेकिन अब इन देशों की सेनाएँ भी यूक्रेन के खिलाफ उतर आई हैं।
रूसी ड्रोन अब यूरोपीय देशों की सीमाओं में भी घुसपैठ करना शुरू कर चुके हैं। स्काई न्यूज के अनुसार, पोलैंड के आसमान में रूसी ड्रोन की घुसपैठ के बाद, दो ब्रिटिश लड़ाकू विमानों ने पोलैंड के ऊपर अपना पहला रक्षा मिशन उड़ाया। इस ऑपरेशन से पहले, रक्षा सचिव जॉन हीली ने कहा था कि जब हमें खतरा होता है, तो हम मिलकर जवाब देते हैं। इसका मतलब है कि यूरोपीय देश एक-दूसरे की सुरक्षा के लिए अपना नाटो मोड ऑन कर रहे हैं, जिसमें एक देश पर हमला, हर एक नाटो सदस्य देश पर हमला माना जाएगा।
ब्रिटिश फाइटर जेट ने नाटो के ऑपरेशन ईस्टर्न सेंट्री के तहत यह उड़ान भरी थी। इस ऑपरेशन को पोलैंड द्वारा रूसी ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद यूरोप के पूर्वी हिस्से को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया है।
रूसी ड्रोन यहीं नहीं रुक रहे हैं। कुछ दिन बाद, रोमानिया के ऊपर उड़ते हुए एक रूसी ड्रोन को रोका गया, जबकि शुक्रवार को तीन रूसी जेट 12 मिनट तक एस्टोनियाई हवाई क्षेत्र में उड़ते रहे। नाटो के एयरस्पेस में तीन बार घुसपैठ ने यूक्रेन में रूस के तीन साल से चल रहे युद्ध के संभावित विस्तार को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। रूस के बार-बार यूरोपीय देशों की सीमा में अपने ड्रोन भेजने के पीछे नाटो सैन्य गठबंधन की प्रतिक्रिया को परखने की कोशिश भी समझी जा रही है।
पोलैंड के ऊपर हुई इस घटना के बाद, प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने चेतावनी दी कि उनका देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से युद्ध के सबसे करीब है, जबकि ब्रिटेन ने ऐलान किया कि वह वारसॉ को अतिरिक्त हवाई सुरक्षा प्रदान करेगा।