संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को बताया कि दुनिया भर में 210 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। हर चार में से एक व्यक्ति गंदा पानी पीने को मजबूर है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पिछले साल दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति को सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल उपलब्ध नहीं था। 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग पीने के पानी के लिए नदियों, तालाबों और नहरों पर निर्भर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा कि जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़ने के कारण अरबों लोग बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। दुनिया भर में इस मुद्दे पर ध्यान देने की ज़रूरत है, लेकिन इस मुद्दे पर 2030 तक कोई ध्यान नहीं देने जा रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्यावरण प्रमुख रूडिगर क्रेच ने कहा कि जल, स्वच्छता और सफाई विशेषाधिकार नहीं, बुनियादी मानवाधिकार हैं। रिपोर्ट में 5 तरह के ड्रिंकिंग वाटर की बात की गई है। पहला ड्रिंकिंग वाटर ऐसा है, जो आपके घर तक पहुंचे और इसमें गंदगी और केमिकल्स मौजूद न हो। इसके अलावा 4 और टाइप हैं। दूसरा- बुनियादी (साफ पानी, जो 30 मिनट से कम समय में मिल जाए), तीसरा- सीमित (साफ, लेकिन इसे मिलने में अधिक समय लगता है), गंदा (उदाहरण के लिए- गंदे कुएं या झरने से) और पांचवा- सतही पानी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से अब तक 96 करोड़ 10 लाख लोगों को साफ ड्रिंकिंग वाटर उपलब्ध हो चुका है। लोगों तक इसकी पहुंच 68% से बढ़कर 74% हो चुकी है। पिछले साल 210 करोड़ लोगों के लिए साफ ड्रिंकिंग वाटर उपलब्ध नहीं था। इनमें से 10.6 करोड़ लोग सतही जल का इस्तेमाल कर रहे थे। यह पिछले दशक की तुलना में 6.1 करोड़ की कमी दिखाती है। स्टडी में कहा गया है कि पीने के लिए सतही जल का इस्तेमाल करने वाले देशों की संख्या 2015 में 142 से बढ़कर 2024 में 154 हो जाएगी। 2024 में 89 देशों में बुनियादी पेयजल तक सबकी पहुंच होगी। इनमें से 31 देशों के लोगों के लिए साफ ड्रिंकिंग वाटर उपलब्ध होगा। वे 28 देश जहां 4 में से एक से ज्यादा लोगों के पास अभी भी बुनियादी सेवाओं का अभाव है, वे अधिकांश अफ्रीका में हैं। 2015 से 120 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मिला। लोगों तक इसकी पहुंच 48% से बढ़कर 58% हो गई है। ये आंकड़े उन जगहों के हैं, जहां ये सुविधा किसी और घर के साथ शेयर नहीं की जाती है। जहां मल-मूत्र का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाता है। यहां कहीं और ले जाकर ट्रीट किया जाता है। खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 2024 तक 42 करोड़ 90 लाख से घटकर 35 करोड़ 4 लाख रह जाएगी। यह आंकड़ा दुनिया भर की आबादी का 4% है। स्टडी में पाया गया कि 2015 से अब तक 1.6 अरब लोगों को बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच मिली है। घर पर साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधा में कमी है। हालांकि पहले यह सुविधा 66% लोगों के पास थी, जो बढ़कर 80% हो गई है।
UN रिपोर्ट: 210 करोड़ से अधिक लोगों को नहीं मिल रहा पीने का साफ पानी
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