ईरान के लिए एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर फिर से प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों में हथियारों पर रोक, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलों पर रोक, संपत्तियों को जब्त करना और यात्रा पर प्रतिबंध शामिल हैं। ईरान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कठिन दौर से गुजर रही है, और इन प्रतिबंधों के कारण इसकी स्थिति और भी खराब हो जाएगी।
यह कदम प्रमुख यूरोपीय देशों की पहल पर उठाया गया है, जबकि तेहरान ने चेतावनी दी है कि वह इन प्रतिबंधों का कड़ा जवाब देगा। ये प्रतिबंध स्नैपबैक मैकेनिज्म के तहत लगाए गए हैं, जो 2015 के परमाणु समझौते में शामिल था। यह समझौता ईरान और दुनिया की प्रमुख शक्तियों के बीच हुआ था।
2015 के ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) में स्नैपबैक का प्रावधान था। इसके अनुसार, अगर कोई भी पक्ष यह साबित कर दे कि ईरान समझौते का पालन नहीं कर रहा है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बिना ही 30 दिन के अंदर ईरान पर पुराने सभी प्रतिबंध फिर से लागू किए जा सकते हैं। इसमें ईरान की संपत्तियों को जब्त करना, हथियारों की बिक्री पर रोक, बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर प्रतिबंध, यात्रा प्रतिबंध और परमाणु तकनीक के हस्तांतरण पर रोक शामिल है।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान पर आरोप लगाया है कि उसने 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन किया है, जिसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था।
हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि ईरान का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस सभा के सामने एक बार फिर ऐलान करता हूं कि ईरान ने कभी परमाणु बम बनाने की कोशिश नहीं की है और न ही कभी करेगा। हम परमाणु हथियार नहीं चाहते।’ उनके इस बयान के बाद भी प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।
एक दशक पुराने इस परमाणु समझौते का टूटना मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा सकता है, खासकर इसलिए कि तीन महीने पहले ही अमेरिका और इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की थी।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने बयान जारी कर कहा कि वे ईरान और सभी देशों से इन प्रस्तावों का पूरी तरह से पालन करने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश कूटनीतिक रास्तों और बातचीत को जारी रखेंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करना कूटनीति का अंत नहीं है।
रूस ने इस कदम का विरोध किया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यह गैरकानूनी है और इसे लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि उन्होंने महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को पत्र लिखा है और चेतावनी दी है कि प्रतिबंधों की वापसी को मान्यता देना उनके लिए एक बड़ी गलती होगी।
ईरान ने प्रतिबंधों पर कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी है, लेकिन राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने शुक्रवार को कहा कि देश का परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकलने का कोई इरादा नहीं है। इस बीच, शनिवार को ईरान ने जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में तैनात अपने राजदूतों को तत्काल परामर्श के लिए वापस बुला लिया। ईरान का कहना है कि यूरोपीय देशों ने गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाया है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और भी बढ़ेगी।