दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव आया है, और इसका सीधा असर पाकिस्तान और चीन पर पड़ा है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को अत्याधुनिक मिसाइलों की एक खेप सौंपी है, जिससे इन देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। यह कोई सामान्य हथियार सौदा नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संकेत है कि भारत के पड़ोसी देशों को अब गंभीर खतरे का सामना करना पड़ेगा।

पाकिस्तान, जिसने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की थी और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया था, उसे इस सौदे से गहरा झटका लगा है। जहाँ एक ओर पाकिस्तान ट्रंप की ‘दोस्ती’ का जश्न मना रहा था, वहीं अमेरिका चुपचाप भारत को ऐसे हथियार दे रहा है, जिनसे यूक्रेन में रूसी टैंकों को भारी नुकसान हुआ है। यह सब बहुत ही सोची-समझी चाल और रणनीतिक समय पर हुआ है, जिसका संदेश स्पष्ट है। बीजिंग और इस्लामादबाद का सबसे बड़ा डर अब भारत की हकीकत बन गया है, और वे कुछ भी नहीं कर सकते।
अमेरिका ने 93 मिलियन अमेरिकी डॉलर के दो बड़े सैन्य सौदों को मंजूरी दी है। ये सौदे भारतीय सेना को ऐसी क्षमताएं प्रदान करेंगे कि वह दुश्मन के टैंकों को पलक झपकते ही तबाह कर सकेगी।
अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) ने 45.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर में FGM-148 जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम की बिक्री को मंजूरी दी है। यह वही ‘फायर-एंड-forget’ (दागो और भूल जाओ) मिसाइल है जिसका यूक्रेन में रूसी टैंकों के खिलाफ प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया गया है। इस सौदे में 100 जेवलिन मिसाइलें, 25 कमांड-लॉन्च यूनिट, प्रशिक्षण उपकरण और अन्य सहायक सामग्री शामिल हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सैनिक अब दो किलोमीटर से अधिक दूरी से दुश्मन के टैंकों को निशाना बना सकेंगे और मिसाइल के लक्ष्य को ट्रैक करने के दौरान सुरक्षित स्थान पर लौट सकेंगे।
दूसरा सौदा 47.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसके तहत 216 M982A1 एक्सकैलिबर सटीक-निर्देशित तोपखाने के गोले दिए जाएंगे। ये लेजर-सटीक प्रक्षेप्य हैं जो दर्जनों किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को अचूक निशाने पर भेद सकते हैं। ये सामान्य हथियार नहीं हैं; ये GPS-निर्देशित मिसाइलें हैं जो भारतीय तोपखाने को सर्जिकल स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती हैं।
जेवलिन की खासियत यह है कि यह पुराने वायर-गाइडेड सिस्टम के विपरीत, स्वचालित इन्फ्रारेड मार्गदर्शन का उपयोग करती है। इससे सैनिक मिसाइल दागने के तुरंत बाद कवर ले सकते हैं, और मिसाइल स्वयं ही लक्ष्य को कमजोर बिंदु पर हमला करती है। यह टैंकों के साथ-साथ मजबूत ठिकानों और अन्य बख्तरबंद वाहनों को भी नष्ट करने में सक्षम है।
अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी का कहना है कि ये बिक्री भारत को वर्तमान और उभरते खतरों से निपटने में सक्षम बनाएगी और अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी। ये हथियार पहले से ही भारतीय सेना की सीमित सेवा में हैं, और नई खरीद से उनकी क्षमता बढ़ेगी और अमेरिकी प्लेटफार्मों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार होगा।
भारत के विरोधियों के लिए संदेश स्पष्ट है: भारतीय सेना अब ऐसी मारक क्षमता से लैस है जो किसी भी खतरे को बनने से पहले ही बेअसर कर सकती है। एक्सकैलिबर तोपखाने की सटीकता के साथ मिलकर, भारत की पारंपरिक प्रतिरोधक क्षमता अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई है।




