संयुक्त राज्य अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने सीमा पर प्रवेश और निकास के लिए नए नियम लागू करने की घोषणा की है। 26 दिसंबर 2025 से प्रभावी होने वाले इस नियम के तहत, अब सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों, जिनमें ग्रीन कार्ड धारक भी शामिल हैं, को देश में प्रवेश करते और बाहर निकलते समय फोटो खिंचवाना अनिवार्य होगा। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आव्रजन नियंत्रण को कड़ा करने के प्रयासों का हिस्सा है।
पहले, केवल कुछ विशेष श्रेणियों के यात्रियों को ही फिंगरप्रिंट और तस्वीरों जैसे बायोमेट्रिक डेटा प्रदान करने की आवश्यकता होती थी। लेकिन अब, अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) लैंड, सी और एयर पोर्ट्स ऑफ एंट्री पर अपने बायोमेट्रिक संग्रह का विस्तार करेगा। 14 साल से कम और 79 साल से अधिक उम्र के यात्रियों को दी गई पिछली छूटें भी समाप्त कर दी गई हैं। इसका मतलब है कि अब हर विदेशी नागरिक, चाहे वह लंबे समय से निवासी हो या ग्रीन कार्ड धारक, को अमेरिका में प्रवेश या निकास के समय बायोमेट्रिक पहचान प्रक्रिया से गुजरना होगा।
CBP यात्रियों की पहचान की पुष्टि के लिए पासपोर्ट, वीजा आवेदन और सीमा अधिकारियों द्वारा ली गई तस्वीरों से प्राप्त डेटा का उपयोग करेगा, जिसे फेशियल कंपेरिजन टेक्नोलॉजी के साथ एकीकृत किया जाएगा। DHS का कहना है कि यह प्रणाली पहचान की धोखाधड़ी, नकली यात्रा दस्तावेजों के उपयोग को रोकने और वीज़ा ओवरस्टे करने वाले व्यक्तियों को ट्रैक करने में मदद करेगी। अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा लाभों पर भी जोर दिया है, जिसमें आतंकवाद, फर्जी दस्तावेज और अधूरे बायोग्राफिक डेटा के मामलों का पता लगाना शामिल है। CBP द्वारा फेडरल रजिस्टर में की गई फाइलिंग के अनुसार, एक एकीकृत बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली लागू करने से सीमा निगरानी में लंबे समय से चली आ रही कमियां दूर होंगी।
यह विस्तार वीज़ा ओवरस्टे की समस्या को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने में मदद करेगा, जो अमेरिका में लगभग 11 मिलियन अवैध अप्रवासियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जनवरी 2025 में पदभार ग्रहण करने के बाद से कई सख्त आव्रजन उपाय पेश किए हैं, जिनमें जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करना और ‘अवैध आपराधिक एलियंस’ को निर्वासित करने के लिए ICE छापों का विस्तार करना शामिल है। उनके प्रशासन ने वीजा आवेदकों और ग्रीन कार्ड धारकों के लिए स्क्रीनिंग को भी कड़ा कर दिया है, जिसमें सोशल मीडिया की जांच भी शामिल है।







