वर्ष 2025 के हैनले पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, अमेरिकी पासपोर्ट की वैश्विक शक्ति में भारी गिरावट आई है। 20 वर्षों में पहली बार, यह दुनिया के शीर्ष 10 सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की सूची से बाहर हो गया है और अब 12वें स्थान पर आ गया है, जो मलेशिया के बराबर है। अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को अब 180 गंतव्यों के लिए वीज़ा-मुक्त या वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा प्राप्त है, जो वैश्विक गतिशीलता में एक उल्लेखनीय कमी का संकेत देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी पासपोर्ट की इस गिरावट के पीछे अमेरिका की कठोर वीज़ा नीतियां और अंतरराष्ट्रीय मंच पर घटती सॉफ्ट पावर है। जहां अमेरिका की स्थिति कमजोर हुई है, वहीं सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देशों के पासपोर्ट मजबूत हुए हैं। सिंगापुर लगातार दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट बना हुआ है, जो 193 देशों में वीज़ा-मुक्त प्रवेश की सुविधा देता है। इसके बाद दक्षिण कोरिया (190 देश) और जापान (189 देश) का स्थान है। जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे यूरोपीय देश भी शीर्ष पांच में शामिल हैं।
अमेरिकी पासपोर्ट की ताकत में कमी के कारणों में विदेशी नीति के फैसले और वीज़ा की सीमित पारस्परिक व्यवस्था शामिल हैं। उदाहरण के लिए, ब्राजील ने हाल ही में अमेरिकी नागरिकों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश को समाप्त कर दिया, क्योंकि वाशिंगटन ने ब्राजील के नागरिकों को समान सुविधा प्रदान करने से इनकार कर दिया था। इसी तरह, चीन और वियतनाम ने भी अमेरिका को अपनी नई वीज़ा-मुक्त सूची से बाहर कर दिया है। पापुआ न्यू गिनी, म्यांमार और सोमालिया जैसे देशों द्वारा ई-वीज़ा प्रणालियों की शुरुआत ने भी अमेरिकी यात्रियों की पहुंच को सीमित कर दिया है।
हैनले ओपननेस इंडेक्स में अमेरिका 77वें स्थान पर है, क्योंकि जहां वह 180 देशों में अपने नागरिकों को वीज़ा-मुक्त प्रवेश देता है, वहीं केवल 46 देशों के नागरिकों को ही बिना वीज़ा के प्रवेश की अनुमति देता है। यह ‘खुलेपन’ की कमी अन्य देशों को भी पारस्परिक रूप से सख्त कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रही है।
दूसरी ओर, चीन का पासपोर्ट इस अवधि में काफी मजबूत हुआ है। 2015 में 94वें स्थान पर था, जो अब 2025 में 64वें स्थान पर पहुंच गया है। हाल ही में, रूस को चीन की वीज़ा-मुक्त सूची में शामिल किया गया है।
इस बीच, भारतीय पासपोर्ट की बात करें तो यह 2025 की पहली तिमाही में पांच स्थान गिरकर 85वें पायदान पर आ गया है, जबकि पिछले साल यह 80वें स्थान पर था। 2021 में भारतीय पासपोर्ट 90वें स्थान पर था, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।