अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच तनाव इन दिनों चरम पर है। दक्षिणी कैरेबियन सागर में अमेरिकी युद्धपोतों और हज़ारों सैनिकों की तैनाती ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। अमेरिका का कहना है कि इसका कारण ड्रग्स की तस्करी और वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर लगे गंभीर आरोप हैं। ट्रंप प्रशासन ने मादुरो पर ड्रग कार्टेल चलाने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ़्तारी पर इनाम बढ़ाकर सीधे 50 मिलियन डॉलर तक कर दिया है।
हालांकि अमेरिका ने अब तक वेनेज़ुएला पर हमले की योजना से इनकार किया है, लेकिन दोनों देशों के संबंध लंबे समय से ख़राब हैं। इतना ही नहीं, अमेरिका ने मादुरो की 2018 और 2024 की चुनावी जीत को मान्यता तक नहीं दी। हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय आँकड़े वेनेज़ुएला पर ड्रग कार्टेल चलाने के दावों पर सवाल उठाते हैं और यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं ड्रग्स केवल एक बहाना तो नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र के आँकड़े बताते हैं कि कोका की खेती और कोकीन उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र कोलंबिया, पेरू और बोलिविया हैं। अकेले कोलंबिया से ही दो-तिहाई से अधिक वैश्विक कोकीन निकलता है। दूसरी ओर, वेनेज़ुएला न तो उत्पादन करने वाला देश है और न ही प्रमुख ट्रांज़िट रूट।
CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग्स ज़ब्ती के आँकड़े भी यही कहानी कहते हैं। कोलंबिया, इक्वाडोर और पनामा जैसे देशों में ज़्यादा मात्रा में पकड़ी जाती है, जबकि वेनेज़ुएला की हिस्सेदारी कुल ज़ब्ती का 2 प्रतिशत से भी कम है।
अमेरिका का कहना है कि वेनेज़ुएला से होकर सालाना लगभग 250 टन कोकीन गुज़रता है। यह मात्रा वैश्विक उत्पादन (3,700 टन) की तुलना में कम है, लेकिन इसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता। सवाल यह है कि अगर असली ख़तरा इतना ही बड़ा है, तो फिर सैन्य दबाव उन देशों पर क्यों नहीं बढ़ाया जाता जहाँ से ड्रग्स का वास्तविक उत्पादन होता है?
मादुरो सरकार का कहना है कि वह ड्रग्स के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई कर रही है। हाल के वर्षों में उसने सैकड़ों नावें और विमान ज़ब्त किए हैं जिनका इस्तेमाल तस्करी में होता था। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।
साथ ही, यह भी सच है कि मादुरो के परिवार से जुड़े लोग अमेरिकी अदालतों में ड्रग्स तस्करी के मामलों में दोषी पाए गए हैं। इससे यह संकेत ज़रूर मिलता है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और मिलीभगत की संभावना बनी हुई है।
ड्रग्स तस्करी का वेनेज़ुएला से कुछ संबंध ज़रूर है, लेकिन उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय आँकड़े बताते हैं कि यह देश वैश्विक व्यापार में बड़ा खिलाड़ी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका ने सैन्य दबाव का केंद्र वेनेज़ुएला को ही क्यों बनाया है? इसके पीछे एक वजह वेनेज़ुएला की मादुरो सरकार का तख़्तापलट करने की बात बताई जा रही है। स्वयं राष्ट्रपति मादुरो का आरोप है कि अमेरिका सैन्य दबाव डालकर वेनेज़ुएला में सत्ता बदलने की साज़िश कर रहा है।
दरअसल, लैटिन अमेरिका में यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका पर सत्ता पलटने की कोशिश के आरोप लगे हों। बीसवीं सदी के दूसरे भाग में वॉशिंगटन ने चिली से लेकर ब्राज़ील और ग्वाटेमाला से ग्रेनेडा तक गुप्त और खुले सैन्य ऑपरेशनों को अंजाम दिया, जिनका नतीजा कई सरकारों के तख़्तापलट के रूप में सामने आया।