डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा H-1B वीजा शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद, व्हाइट हाउस ने वीजा कार्यक्रम पर चिंताओं के कारणों को स्पष्ट किया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों की छंटनी की है और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त किया है।
ट्रम्प लगातार कह रहे हैं कि अमेरिका के संसाधनों और नौकरियों पर अमेरिकियों का पहला अधिकार है। व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया है कि एक कंपनी को 5,189 H-1B मंजूरियां मिलीं, जबकि उसने 16 हजार अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की, और दूसरी कंपनी को 1,698 मंजूरियां मिलीं, लेकिन उसने ओरेगन में 2,400 नौकरियों में कटौती की।
व्हाइट हाउस के आंकड़ों के अनुसार, एक तीसरी कंपनी को 25,075 H-1B वीजा परमिशन मिली और उसने 2022 से अपने अमेरिकी कर्मचारियों की संख्या में 27,000 की कटौती की।
साथ ही, एक अन्य कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 1,137 H-1B वीजा परमिशन लेने के बावजूद फरवरी में 1,000 अमेरिकी नौकरियों में कटौती की। अमेरिकी IT कर्मचारियों को कथित तौर पर बिना किसी अवैध तरीके से विदेशी वर्कर्स को ट्रेनिंग देने के लिए मजबूर किया गया।
ट्रम्प चुनाव प्रचार के समय से ही ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नारा देते आए हैं। इस कानून के पीछे माना जा रहा है कि H-1B वीजा की शुल्क बढ़ने से अमेरिकी कंपनियों का बाहर से पेशेवरों को बुलाने का खर्च बढ़ जाएगा, जिसके बाद वे अमेरिकी वर्कर्स को मौका देंगी, जिससे अमेरिका की नौकरियां पहले अमेरिकियों को ऑफर की जाएंगी।
नई शुल्क का असर 21 सितंबर से पहले जमा की गई H-1B याचिकाओं पर नहीं पड़ेगा और अमेरिका के बाहर मौजूदा वीजा धारकों को देश में दोबारा आने के लिए शुल्क नहीं देनी होगी। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ नए वीजा पर लागू होता है, नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।