रूस और बेलारूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास, जापाद-2025 में, दो अमेरिकी सैनिक अचानक दिखाई दिए। बेलारूस ने इसे एक ‘आश्चर्यजनक दौरा’ बताया। यह अभ्यास रूस और बेलारूस की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, जो नाटो देशों की सीमाओं के पास आयोजित किया गया था। यह सैन्य अभ्यास पोलैंड और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ।
हालांकि, अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति सीधे तौर पर युद्ध में भागीदारी नहीं थी, बल्कि वे केवल अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में मौजूद थे। द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, बेलारूस के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक वीडियो साझा किया, जिसमें दो अमेरिकी सैनिक बेलारूस के रक्षा मंत्री से हाथ मिलाते हुए दिखाई दे रहे थे। इनमें से एक लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रायन शूप थे। बेलारूस ने बताया कि इस अभ्यास में कुल 23 देशों के सैनिक शामिल हुए, जिनमें नाटो सदस्य तुर्की और हंगरी भी शामिल थे।
जापाद-2025 रूस और बेलारूस का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास है, जो जमीन और समुद्र दोनों क्षेत्रों में आयोजित किया गया था। जर्मन सेना के अनुसार, लगभग 13,000 सैनिक बेलारूस में और 30,000 सैनिक रूस में इस अभ्यास का हिस्सा थे।
अंतर्राष्ट्रीय नियमों (वियना दस्तावेज़) के अनुसार, बड़े सैन्य अभ्यासों में विदेशी पर्यवेक्षकों को आमंत्रित करना आवश्यक होता है। रूस आमतौर पर ऐसा नहीं करता, लेकिन बेलारूस ने इस बार ऐसा किया। इससे बेलारूस ने पारदर्शिता का संकेत दिया। यूक्रेन युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों ने बेलारूस से दूरी बना ली थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
अमेरिका ने बेलारूस की एयरलाइन बेलाविया पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाया। ट्रंप प्रशासन मिन्स्क में अमेरिकी दूतावास को फिर से खोलने पर विचार कर रहा है। हाल ही में ट्रंप ने बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको को एक निजी नोट भी भेजा था।
अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति लड़ाई का संकेत नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत है। यह दर्शाता है कि बेलारूस रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हुए भी अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। यह बेलारूस की दोहरी रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर संतुलन बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है।