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Varanasi News: 352 साल बाद दोहराया इतिहास, ज्ञानवापी कूप बना काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा

अभिषेक जायसवाल, वाराणसीवाराणसी में 352 साल बाद पौराणिक ज्ञानवापी कूप और ज्ञानवापी परिसर में स्थित विशाल नंदी अब काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा बन गया है। मंदिर के परिक्रमा मंडप के भीतर ही अब भक्त काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ ही ज्ञानवापी कूप का पूजन भी कर सकेंगे। मंदिर परिसर के विस्तार के लिए बेस निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। महाशिवरात्रि के बाद मंदिर की नई बाउंड्री बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में मंदिर के सीईओ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि विश्वनाथ धाम में मंदिर परिसर के विस्तार की योजना है। विस्तार के बाद 3150 वर्गमीटर में मंदिर परिसर होगा। मंदिर परिसर की लंबाई 72 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर तय की गई है। परिसर विस्तार का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार 40 फीट ऊंचा होगा। चुनार के गुलाबी पत्थर इसी शोभा बढ़ाएंगे। औरंगजेब के फरमान के बाद टूटा था मंदिरकहा जाता है कि अप्रैल 1669 में औरंगजेब के फरमान के बाद मुगल सेना ने हमला कर आदि विशेश्वर का मंदिर ध्वस्त किया था। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। हमले के दौरान मुगल सेना मंदिर के बाहर स्थपित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन सेना के तमाम प्रयासों के बाद भी वें नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके। यह प्रतिमा आज भी ज्ञानवापी मस्जिद (पुरातन काशी विश्वनाथ का मंदिर) की तरफ है। अहिल्याबाई ने बनवाया था मंदिरमुगल हमले के बाद पुजारियों ने ज्ञानवापी परिसर के बगल में दोबारा शिवलिंग की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू की। तब से ज्ञानवापी कूप और नंदी काशी विश्वनाथ मंदिर से बाहर हो गए थे। 352 साल बाद दोबारा इतिहास दोहराया है और पौराणिक ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी मंदिर का हिस्सा बन गया है। बताते चलें कि वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने 1780 में कराया था।

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