कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के लिए 12 मई को मतदान होगा और 18 मई को वोटों की गिनती होगी. कांग्रेस और भाजपा समेत कुछ क्षेत्रीय दल भी 224 विधानसभा सीटों के लिए होने वाली इस चुनावी दौड़ की तैयारी में लगे हैं. दक्षिण भारत में अपने राजनीतिक विस्तार को आतुर भाजपा कर्नाटक चुनाव में हरसंभव बाज़ी खेलने को तैयार है. वहीं कांग्रेस पार्टी प्रदेश में अपनी सत्ता बचाने की कोशिश में लगी है. कहा जा रहा है कि कर्नाटक के ये चुनाव आने वाले दिनों में पूरे दक्षिण भारत की राजनीति को प्रभावित करेंगे.
इस चुनाव में अगर कांग्रेस हारी या उसके विधायकों ने नंबर गिरे, तो भाजपा का हौसला बढ़ेगा और वो मज़बूती से ये दावा पेश करने लगेगी कि 2019 के विजेता वही होंगे. इसका कारण है कि किसी भी पार्टी के लिए दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कर्नाटक सबसे अहम राज्य है. वहीं पंजाब में कांग्रेस को जीत मिली. बिहार में जहाँ वो आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन में जूनियर पार्टनर थी, वहाँ उन्हें जीत मिली. हालांकि, बाद में बिहार की कहानी बदल गई. फिर गोवा, मेघालय समेत अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में अच्छा परफ़ॉर्म भी किया, लेकिन सरकार बनाने में वो असफल रही. मसलन, कांग्रेस हाल के दिनों में ज़्यादातर चुनाव हारी है. ऐसे में कर्नाटक का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है. लेकिन देखना ये है कि कांग्रेस किस तरह से ये चुनाव लड़ती है?
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