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देश में वैक्सीनेशन अभियान की सुपर वॉरियर…विरोध के बावजूद वर्षों तक 8 KM पैदल जाकर बच्चों को लगाया टीका

हाइलाइट्स:देश में कोरोना वायरस के टीके के एक बड़े वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो गई हैकोविड टीकाकरण अभियान में हजारों हेल्थ वर्कर्स आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने में जुटेकोरोना का यह अभियान पहला कैंपेन नहीं, आगरा की रहने वाली माधुरी की कहानी है जुदाआगरादेश में कोरोना वायरस के टीके के एक बड़े वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो गई है। यूं तो कोविड के टीकाकरण अभियान में हजारों हेल्थ वर्कर्स देश के लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने में जुटे हैं, लेकिन कोरोना का यह अभियान देश का पहला अभियान नहीं है।आगरा में रहने वाली हेल्थ वर्कर माधुरी मिश्रा ऐसे ही एक अभियान के दिनों को याद करती हैं, जब वह 8 किलोमीटर तक पैदल चलकर दूरस्थ इलाकों के लोगों का वैक्सीनेशन करने जाती थीं। उन दिनों से लेकर आज तक वह इस तरह के अभियानों में हिस्सा ले रही हैं।..तब गांव में नहीं होती थी एंट्रीमाधुरी मिश्रा का कहना है कि 1983 के उस साल वह अपने परिवार की तमाम बंदिशों को छोड़कर एक नर्स के रूप में काम करने आई थीं। ये वो साल था, जब देश में स्मॉलपॉक्स के अंत के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान को 5 साल हुए थे।माधुरी मिश्रा बताती हैं कि उस वक्त जागरुकता के अभाव में लोग टीकाकरण से बहुत डरते थे। हालत ये थी कि वैक्सीनेशन करने जाने वाले वर्कर्स को गांव में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता था।महाराष्ट्र: फिर कोरोना का कहर, 5 महीने बाद इतने नए मामले दर्जवैक्सीनेशन को लेकर लोगों के मन में रहता था शकमाधुरी बताती हैं कि लोगों के मन में इस बात को लेकर शक था कि अगर वह वैक्सीन लगवाएंगे तो वह नपुंसक हो जाएंगे या उन्हें कोई और बीमारी हो जाएगी। इसे लेकर माधुरी को भी कई बार लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा।माधुरी कहती हैं कि तमाम विरोधों के बावजूद वह गांवों और दूरस्थ इलाकों में जाती रहीं और लोगों को समझाने के साथ टीकाकरण का काम होता रहा। पढ़ाई के लिए की दर्जी की दुकान में नौकरीमाधुरी कहती हैं कि 1978 में उनके पिता की मौत होने के बाद उनके परिवार का कोई भी उनकी पढ़ाई के लिए राजी नहीं था। इस कारण उन्होंने एक टेलर की दुकान में नौकरी करके पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठा किए। इसके बाद पढ़ाई पूरी कर साल 1983 में नौकरी शुरू की गई। माधुरी का कहना है कि 20 साल की नौकरी में उन्होंने 90 फीसदी तक टीकाकरण कराने की कीर्तिमान स्थापित किया।माधुरी का कहना है कि 28 वर्षों की सेवा के बाद अब उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया है, लेकिन उन्होंने अधिकारियों को अब भी कह रखा है कि अगर कभी भी विभाग को उनकी जरूरत हो तो वह हर वक्त उसके लिए तैयार हैं।मुंबई में 100 साल की दादी ने लगवाई कोरोना वैक्सीन