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पीली पगड़ी पहनकर किसान कल मनाएंगे शहीदी दिवस, मंच की कमान होगी युवाओं के पास

दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में मंगलवार को देशभक्ति का नजारा देखने को मिलेगा। आंदोलन में जहां अब तक मंच से नारेबाजी और सरकार के खिलाफ भाषण गूंजते थे, वहीं कल इन्हीं मंचों से देशभक्ति के तराने सुनाई देंगे। देशभर से आए किसान धरना स्थलों पर मंगलवार को शहीदी दिवस मनाएंगे। इस दौरान किसान संगठन शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान को याद करेंगे। इस दिन सभी धरनास्थलों युवा प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और मंच का संचालन भी संभालेंगे।किसान संगठन भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीदी दिवस मनाने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में युवा गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बार्डर पर शहीदी दिवस मनाने की तैयारियों में जुट रहे है। 23 मार्च 1931 को अंग्रेजी हुकुमत ने लाहौर असेंबली में बम फेंकने के आरोप में फांसी पर लटका दिया था। उस समय सरदार भगत सिंह की आयु मात्र 23 वर्ष थी।भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा, आजादी के मतवाले सरदार भगत सिंह को उनकी प्यारी पीली पगड़ी पहनकर याद किया जाएगा। इसलिए सभी राज्यों के युवाओं से मंगलवार को पीली पगड़ी पहनकर प्रदर्शन स्थलों पर आने का आह्वान किया है। अंग्रेजी हुकुमत के जुल्मों से लड़ते हुए सरदार भगत सिंह ने कहा था कि लोगों को कुचलकर भी आप उनके विचारों को नहीं मार सकते।शहीदे आजम की यह बात आज भी उतनी ही सही और प्रासंगिक है। आज किसान मजदूरों के परिवार में जन्मे इन युवाओं का भविष्य दांव पर हैं। महिला व पुरुष नौजवान किसान आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। भगत सिंह के विचारों पर चलते हुए युवा 23 मार्च को देश के किसानों-मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने आ रहे हैं।
भारत बंद की तैयारी में जुटे किसान संगठन
26 मार्च को किसान संगठनों ने भारत बंद बुलाया हैं। इस बंद को कई सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा हैं। राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के बाद अब राज्यवार संगठनों से भी समर्थन मांगा जा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि भारत बंद के लिए सभी के पास जाकर समर्थन मांगा जा रहा है। इसके साथ ही अपील की जा रही है कि बंद शांतिपूर्ण तरीके से होगा। इसमें किसी तरह से कोई माहौल बिगाड़ने का प्रयास करेगा तो उसे किसान खुद ही पुलिस के हवाले कर देंगे।बंद के दौरान दिल्ली के अंदर भी आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद रहेगा। भारी विरोध के बाद गेहूं की खरीद से संबंधी नए नियमों को सरकार ने वापस ले लिया है। अब गेहूं की खरीद वर्ष 2020-21 में हुई खरीद के अनुसार ही होगी। यह हमारी जीत है और इसके लिए सभी आंदोलनकारी बधाई के पात्र हैं।