वाराणसी स्थित बीएचयू में हाइड्रोजन ऊर्जा विकास के क्षेत्र में नए सिरे से शोध की तैयारी चल रही है। इसके लिए नेशनल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और बीएचयू हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र के बीच समझौता भी हुआ है। इसमें हाइड्रोजन को स्टोर (संग्रहीत) करने वाले अनुसंधान पर चर्चा हुई। बीएचयू हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र की ओर से जिस तरह वर्ष 2019 में हाइड्राइड कैनिस्टर बनाकर भाभा अनुसंधान केंद्र को प्रदान किया गया है, उसी तर्ज पर शहर में 25-50 आटो चलाने के लिए हाइड्राइड बनाने पर सहमति बनी है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम शुरू होगा। हाइड्राइड में हाइड्रोजन स्टोर करने की प्रक्रिया सबसे ज्यादा सुरक्षित एवं दक्षता वाली है, इसलिए इस अनुसंधान को हल्के धातु पदार्थों की मदद से बनाने के अनुसंधान पर भी वैज्ञानिकों ने चर्चा की। प्लांट की क्षमता बढ़ाने पर भी सहमति
बीएचयू में आयोजित कार्यक्रम में हाइड्रोजन उत्पादन की विभिन्न विधियों पर चर्चा की गई। इस दौरान केंद्र में लगे सोलर फोटोवोलटाइक, इलेक्ट्रोलिसिस प्लांट की क्षमता दो नार्मल मीटर क्यूब से बढ़ाकर पॉच नार्मल मीटर क्यूब तक करने पर भी सहमति हुई। यह भी हुआ कि हाइड्रोजन अनुसंधान को कार्बन न्यूट्रल हरित ऊर्जा हाइड्रोजन के बारे में विज्ञान संस्थान का हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र और नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन पायलट प्रोजेक्ट के द्वारा मिलकर कार्य करेंगे।हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र के समन्वयक प्रो. ओएन श्रीवास्तव और नेशनल हाइड्रो प्रोजेक्ट नई दिल्ली के जनरल मैनेजर डॉ. प्रशांत आत्रे ने समझौता पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान बताया गया कि सरकार ने 2021 के बजट में ऊर्जा के क्षेत्र में हाइड्रोजन ऊर्जा विकास पर विशेष बल दिया है। इसके तहत ही अनुसंधान एवं पायलट प्लांट के लिए विशेष आर्थिक मदद का प्रयोजन किया गया है। इस दौरान प्रो. ओएन श्रीवास्तव ने हाइड्रोजन ऊर्जा पर आधारित अनुसंधान एवं केंद्र द्वारा इस पर बनाए गए हाइड्रोजन चलित मोटर साइकिल, आटो, नैनो कार, खाना बनाने वाला चूल्हा / स्टोव, जेन सेट एवं हाइड्रोजन चलित टरबाइन से बिजली उत्पादन की जानकारी दी। प्रो. आरएस तिवारी, प्रो. अबु साज, डॉ. टीपी यादव, डॉ. र्स्टलिंग हडसन आदि ने कार्यक्रम में भाग लिया। इसके अलावा हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र विज्ञान संस्थान के भौतिकी, रसायनिक एवं वनस्पति विभाग की ओर से किए गए अनुसंधान पर विशेष चर्चा हुई।
वाराणसी स्थित बीएचयू में हाइड्रोजन ऊर्जा विकास के क्षेत्र में नए सिरे से शोध की तैयारी चल रही है। इसके लिए नेशनल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और बीएचयू हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र के बीच समझौता भी हुआ है। इसमें हाइड्रोजन को स्टोर (संग्रहीत) करने वाले अनुसंधान पर चर्चा हुई।
बीएचयू हाइड्रोजन ऊर्जा केंद्र की ओर से जिस तरह वर्ष 2019 में हाइड्राइड कैनिस्टर बनाकर भाभा अनुसंधान केंद्र को प्रदान किया गया है, उसी तर्ज पर शहर में 25-50 आटो चलाने के लिए हाइड्राइड बनाने पर सहमति बनी है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम शुरू होगा। हाइड्राइड में हाइड्रोजन स्टोर करने की प्रक्रिया सबसे ज्यादा सुरक्षित एवं दक्षता वाली है, इसलिए इस अनुसंधान को हल्के धातु पदार्थों की मदद से बनाने के अनुसंधान पर भी वैज्ञानिकों ने चर्चा की।
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