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जिला अदालतों की 2015 की स्टेनोग्राफर भर्ती को हाईकोर्ट ने दिया वैध करार 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने  जिला अदालतों में 2015 की स्टेनोग्राफर और क्लर्क भर्ती परीक्षा का कंप्यूटर टेस्ट दुबारा कराने का आदेश रद़्द कर दिया है। कोर्ट ने  कहा है कि यदि भर्ती परीक्षा मे अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है और भर्ती नियमानुसार हुई है तो कुछ अभ्यर्थियों की टाइप टेस्ट के  टाइपिंग फांट को लेकर की गई शिकायत पर  नए सिरे से टेस्ट लेने  का आदेश नहीं दिया जा सकता।  कोर्ट ने प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लिपिक स्टेनोग्राफर भर्ती 2015 को वैध करार दिया है।हाईकोर्ट की खंडपीठ ने द्वितीय व तृतीय चरण  की परीक्षा रद्द कर  नए सिरे से कराने  के एकल पीठ के आदेश  को रद्द कर दिया है तथा कहा है कि भर्ती प्रक्रिया नियमावली 2013 के अनुसार पूरी की गई है । उसमें अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है।और पिछले पांच वर्ष से कार्यरत चयनितों के कार्य के खिलाफ किसी जिले से भी  शिकायत नहीं है।यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव ( अब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश)तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने निशांत यादव व 28 अन्य,रूपेश कुमार व 133 अन्य,शिव प्रताप सिंह व 12 अन्य व नीलम सेन व 162 अन्य की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया है।जिसमें एकलपीठ के नए सिरे से टाइप टेस्ट कराने के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।मालूम हो कि हाईकोर्ट ने  2014 मे अधीनस्थ अदालतो मे लिपिक व स्टेनोग्राफर के 2341पद विज्ञापित किये।2015मे लिखित परीक्षा मे सफल अभ्यर्थियो का टाइप टेस्ट लिया गया । लिखित परीक्षा पर कोई आपत्ति नही की।केवल स्टेनोग्राफर के टाइप टेस्ट के फान्ट बदलने पर आपत्ति की गयी । मंगल फान्ट से टेस्ट लिया गया।पाच अभ्यर्थियो ने यह कहते हुए याचिका दायर की कि उन्होने क्रुति देव फान्ट से तैयारी की थी।  अचानक मंगल फान्ट मे टेस्ट लेने से  उन्हे तैयारी का पर्याप्त समय नही मिला ।जिससे प्रतियोगिता मे समान अवसर के मूल अधिकारो का हनन हुआ है। याचियो का कहना था कि  2220 लोगों ने टाइप टेस्ट दिया और 2369 लोगों को सफल घोषित किया गया है। शून्य व माइनस अंक पाने वाले भी चयनित हुए हैं।जिसे  एकल पीठ ने सही नहीं माना और  स्टेज दो व तीन की परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश दिया।जिसे विशेष अपील में  चुनौती दी गई थी। अपीलार्थियों का कहना था कि विज्ञापन में ही मंगल फांट से टाइप टेस्ट की सूचना थी। सभी ने मंगल फांट मे टेस्ट दिया है।किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।भर्ती नियमावली में कट आफ मार्क नहीं था।इसलिए लिखित व टाइप टेस्ट की मेरिट  से चयन किया जाना नियमानुसार है।चयन में धांधली का आरोप नहीं है।ऐसे में परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा नहीं ली जा सकती।वे पांच साल से कार्यरत हैं । कार्य भी संतोषजनक है।कोर्ट ने कहा कि 2015 के चयन में 2019 के नियम लागू नहीं किए जा सकते।भर्ती में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।मंगल फांट सभी के लिए था, कुछ अभ्यर्थियों के अलावा अन्य किसी ने शिकायत नहीं की है।कुछ लोगों की शिकायत पर नियमानुसार किए गए चयन को रद्द नहीं किया जा सकता। एकल पीठ ने भी किस  फांट से परीक्षा  ली जाए यह निर्णय  चयन कमेटी पर  छोड़ दिया है। कृतिदेव  फांट से टेस्ट लेने का आदेश नहीं है।एकलपीठ ने 2019 के प्रस्ताव को 2015 के चयन में लागू कर गलती की है।चयन नियमानुसार किया गया है।ऐसे में चयन का एक भाग रद्द करना सही नहीं कहा जा सकता।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने  जिला अदालतों में 2015 की स्टेनोग्राफर और क्लर्क भर्ती परीक्षा का कंप्यूटर टेस्ट दुबारा कराने का आदेश रद़्द कर दिया है। कोर्ट ने  कहा है कि यदि भर्ती परीक्षा मे अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है और भर्ती नियमानुसार हुई है तो कुछ अभ्यर्थियों की टाइप टेस्ट के  टाइपिंग फांट को लेकर की गई शिकायत पर  नए सिरे से टेस्ट लेने  का आदेश नहीं दिया जा सकता।  कोर्ट ने प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लिपिक स्टेनोग्राफर भर्ती 2015 को वैध करार दिया है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने द्वितीय व तृतीय चरण  की परीक्षा रद्द कर  नए सिरे से कराने  के एकल पीठ के आदेश  को रद्द कर दिया है तथा कहा है कि भर्ती प्रक्रिया नियमावली 2013 के अनुसार पूरी की गई है । उसमें अनियमितता की कोई शिकायत नहीं है।और पिछले पांच वर्ष से कार्यरत चयनितों के कार्य के खिलाफ किसी जिले से भी  शिकायत नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव ( अब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश)तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने निशांत यादव व 28 अन्य,रूपेश कुमार व 133 अन्य,शिव प्रताप सिंह व 12 अन्य व नीलम सेन व 162 अन्य की विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया है।जिसमें एकलपीठ के नए सिरे से टाइप टेस्ट कराने के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने  2014 मे अधीनस्थ अदालतो मे लिपिक व स्टेनोग्राफर के 2341पद विज्ञापित किये।2015मे लिखित परीक्षा मे सफल अभ्यर्थियो का टाइप टेस्ट लिया गया । लिखित परीक्षा पर कोई आपत्ति नही की।केवल स्टेनोग्राफर के टाइप टेस्ट के फान्ट बदलने पर आपत्ति की गयी । मंगल फान्ट से टेस्ट लिया गया।पाच अभ्यर्थियो ने यह कहते हुए याचिका दायर की कि उन्होने क्रुति देव फान्ट से तैयारी की थी।  अचानक मंगल फान्ट मे टेस्ट लेने से  उन्हे तैयारी का पर्याप्त समय नही मिला ।जिससे प्रतियोगिता मे समान अवसर के मूल अधिकारो का हनन हुआ है। याचियो का कहना था कि  2220 लोगों ने टाइप टेस्ट दिया और 2369 लोगों को सफल घोषित किया गया है। 

शून्य व माइनस अंक पाने वाले भी चयनित हुए हैं।जिसे  एकल पीठ ने सही नहीं माना और  स्टेज दो व तीन की परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने का निर्देश दिया।जिसे विशेष अपील में  चुनौती दी गई थी। अपीलार्थियों का कहना था कि विज्ञापन में ही मंगल फांट से टाइप टेस्ट की सूचना थी। सभी ने मंगल फांट मे टेस्ट दिया है।किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है।भर्ती नियमावली में कट आफ मार्क नहीं था।इसलिए लिखित व टाइप टेस्ट की मेरिट  से चयन किया जाना नियमानुसार है।

चयन में धांधली का आरोप नहीं है।ऐसे में परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा नहीं ली जा सकती।वे पांच साल से कार्यरत हैं । कार्य भी संतोषजनक है।

कोर्ट ने कहा कि 2015 के चयन में 2019 के नियम लागू नहीं किए जा सकते।भर्ती में नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।मंगल फांट सभी के लिए था, कुछ अभ्यर्थियों के अलावा अन्य किसी ने शिकायत नहीं की है।कुछ लोगों की शिकायत पर नियमानुसार किए गए चयन को रद्द नहीं किया जा सकता। एकल पीठ ने भी किस  फांट से परीक्षा  ली जाए यह निर्णय  चयन कमेटी पर  छोड़ दिया है। कृतिदेव  फांट से टेस्ट लेने का आदेश नहीं है।एकलपीठ ने 2019 के प्रस्ताव को 2015 के चयन में लागू कर गलती की है।चयन नियमानुसार किया गया है।ऐसे में चयन का एक भाग रद्द करना सही नहीं कहा जा सकता।