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Kanpur News: 14 महीनों में 1363 संक्रमितों की मौत, 1 माह में विद्युत शवदाह गृह में हुआ रेकार्ड शवों का अंतिम संस्कार

कानपुरकानपुर का स्वास्थ्य विभाग कोविड और नॉन कोविड मरीजों को ऑक्सिजन, बेड और बेहतर उपचार मुहैया नहीं करा पाया। कोरोना के आगे स्वास्थ्य विभाग खुद संक्रमित हो गया। बेड के लिए भटकते मरीजों ने अस्पतालों के चौखटों और ऐंबुलेंस में दम तोड़ दिया। बीमार स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ मौतों के आकड़ों को छिपाने में सतर्कता दिखाई है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक पिछले 14 महीनों की बात की जाए तो चार मई तक 1363 संक्रमितों की मौत हुई है। वहीं, भैरवघाट और भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में सिर्फ अप्रैल महीने में 1300 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया है।सरकारी आकड़ों और वास्तविक आकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर है। स्वास्थ्य विभाग की सर्विलांस टीम संक्रमितों और स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का आकड़ा आसानी से निकाल लेती है, लेकिन मौतों के आकड़े निकालने में कामयाब नहीं हो पाती है। वास्तविक आकड़ों को छिपाकर स्वास्थ्य विभाग खुद अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहा है।सिर्फ विद्युत शवदाह गृह के आकड़ेकानपुर में संक्रमित शवों और लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भैरवघाट और भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में किए जा रहे हैं। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में लगी दो इलेक्ट्रानिक भट्ठियां दिन-रात धधकती हैं। वहीं, भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में भी देररात तक शवों का अंतिम संस्कार किया जाता रहा है। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में एक दिन में 100 से भी अधिक शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे चुके हैं। विद्युत शवदाह गृह परिसर में ही लकड़ियों से भी अंतिम संस्कार किया गया है और अभी किया जा रहा है।अप्रैल महीने की बात की जाए तो भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में लगभग 1133 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। वहीं, भगवतदास घाट में 174 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। पिछले 14 महीनों में संक्रमितों की मौत के आकड़ों और अप्रैल महीने में सिर्फ विद्युत शवदाह के आकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं। दोनों विद्युत शवदाह गृह में 1300 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। कानपुर में इलाज के अभाव में हजारों संक्रमितों ने घरों और अस्पतालो की चौखटों पर दम तोड़ दिया उनकी कोई गिनती नहीं है।श्मशान घाटों पर रेकॉड शवों का हुआ अंतिम संस्कारकोरोना वायरस की दूसरी लहर में श्मशान घाटों पर बड़ी संख्या में शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे थे। मृतकों के परिजनों को अंत्येष्टी स्थल पर चिता लगाने की जगह नहीं मिल रही थी। सूर्यास्त के बाद देररात तक शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। फिलहाल यह सिलसिला अभी जारी है। श्मशाम घाटों पर हुए अंतिम संस्कारों की कहीं कोई गिनती नहीं है।