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अयोध्या: जन्मभूमि के साथ इन मंदिरों का इंतजार भी हुआ खत्म, 1993 के बाद पहली बार शुरू हुई पूजा-अर्चना

मयंक श्रीवास्तव, अयोध्यारामनगरी अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर में स्थित पौराणिक मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम यज्ञशाला में पुर्नस्थापित किया गया है। 1993 में इन मंदिरों का अधिग्रहण हो गया था। वर्तमान में यह जीर्णर्शीण अवस्था में थे। इन मंदिरों में कुछ रामजन्मभूमि का भी हिस्सा है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पतराय ने बताया कि मंदिरों के विग्रहों को कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में रखा गया है। जहां दोनों समय उनकी पूजा हो रही है।उन्होने बताया कि 1993 में हुए अधिग्रहीत 70 एकड़ के एक भूखण्ड में सीता रसोई, रामचरितभवन, कोहबर भवन, रामखजाना, आनंद भवन व साक्षी गोपाल शामिल थे। यह सभी स्थान रामजन्मभूमि मंदिर के परकोटे के अन्तर्गत आ रहे थे। सीता रसोई मंदिर के परकोटे में तथा साक्षी गोपाल मंदिर के अंदर आ रहा है। रामचरित भवन के आधे से ज्यादा हिस्सों में अब राममंदिर की सीढ़ियां शुरु होंगी। रामखजाना, कोहबर भवन का एक बड़ा हिस्सा गिर चुका था। इनके विग्रहों को वहीं सुरक्षित रखा गया था। अब आवश्यक समझा गया तो उन्हें कारसेवकपुरम ले आया गया। इनको यहां की यज्ञशाला में स्थापित कर दिया गया है। जहां दोनों समय उनकी पूजा होती है। जब रामजन्मभूमि का पूर्ण विकास हो जायेगा तब इनके विषय में विचार किया जायेगा।राममंदिर के बेस का इस प्रकार से हो रहा है निर्माणरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया लगातार चल रही है। मंदिर के बेस के लिए 400 फिट लम्बे, 300 फिट चौड़े व 50 फिट गहरे गड्ढे में मटीरियल डाले का काम हो रहा है। क्रमबद्ध तरीके से कुछ इस प्रकार मटीरियल डाला जा रहा है कि मटीरियल का घनत्व 90 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सके। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पतराय ने कहा कि इस समय जीवन की रक्षा महत्वपूर्ण है। हमारी जीवन रहेगा तो हमारा परिवार है। किसी मशीन का एक नट बुल्ट खराब होने के बाद भी मशीन नहीं चल सकती है। राममंदिर निर्माण के लिए 50 फिट गहरा व 400 लम्बा, 300 फिट चौड़ा गड्ढा बनाया गया है। इस गड्ढ़े को इंजीयरिंग मैटरीयल से भरा जा रहा है। इसको एक एक फिट भरा जा रहा है। 300 मिमि भरने के बाद इसे रोलर से दबाया जा रहा है। जिससे मैटिरियल 250 फिट जो जा रहा है। इससे 90 से 95 प्रतिशत इंजियरिंग मैटिरियल का घनत्व अधिक हो जायेगा। उसके उपर दूसरी लेयर डालते है। यह काम चल रहा है। एक भी दिन रुका नहीं कोरोना के कारण गति घटती बढ़ती रही है।