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Remdesivir injection : 900 रुपये में बनाते नकली रेमडेसिविर, नोए़डा, गाजियाबाद, मेरठ और हापुड़ में 40,000 रुपये में बेचते, ऐसे काम करता था नेटवर्क

नोएडानिमोनिया की बीमारी में काम आने वाले इंजेक्शन के पाउडर से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर बेचने वाला गैंग चार जिलों में सक्रिय था। नोएडा जोन के एसीपी सेकंड रजनीश वर्मा ने बताया कि पुलिस ने रविवार को आरोपी की कॉल डिटेल खंगाली है। कॉल डिटेल रिकॉर्ड का आधार पर आरोपी की लोकेशन मेरठ, हापुड़ गाजियाबाद और नोएडा में मिली है।आरोपी सेक्टर-61, 70, और ग्रेटर नोएडा के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों के साथ साथ सरकारी अस्पतालों के आस पास ज्यादा सक्रिय थे। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी अब तक इन चार जिलों में 100 से ज्यादा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच चुके हैं। वहीं फरार चल रहे मुख्य आरोपी कादिर की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है। कादिर मूलरूप से मेरठ का है। एसीपी ने बताया कि आरोपी के बारे में अहम सुराग लगे हैं। जल्द ही उसे गिरफ्तार करेंगे।पूर्व कैबिनेट का भांजा भी शामिलथाना सेक्टर-58 पुलिस ने शनिवार को मार्केट में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक पूर्व कैबिनेट मंत्री का भांजा भी शामिल था। आरोपीों को कब्जे से 10 रेमडेसिविर इंजेक्शन समेत भारी मात्रा में अन्य इंजेक्शन, करीब ढाई लाख कैश, बाइक, मोबाइल फोन व रेमडेसिविर के नकली लेबल बरामद हुए थे।नकली इंजेक्शन हो सकता है जानलेवाअगर आप लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर या फिर अन्य कोई इंजेक्शन खरीद रहे हैं तो खरीदने के बाद उसकी जांच अवश्य करा लें। आपके द्वारा खरीदा गया इंजेक्शन नकली भी हो सकता है। महज 900 रुपये कीमत का इंजेक्शन कालाबाजारी में 35 से 40 हजार में खरीदने के बावजूद भी नकली मिल रहा है। ऐसे में ये नकली इंजेक्शन मरीज की जान के लिए खतरा बन सकता है।डिमांड बढ़ी तो नकली बनाने लगेदरअसल इन दिनों कोरोना के चलते लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, एक्टेमरा आदि की ज्यादा डिमांड है, लेकिन ये इंजेक्शन इन दिनों ढ़ूंढे से भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इन दिनों नकली लाइफ सेविंग इंजेक्शन बनाने वाले गैंग सक्रिय हो गए हैं।कालाबाजारी और ठगी के बाद अब नकली इंजेक्शनअब तक लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, एक्टेमरा आदि की या तो कालाबाजारी हो रही थी, या फिर इंजेक्शन के नाम पर ठगी हो रही थी, लेकिन अब मार्केट में नकली इंजेक्शन बेचने वाले गैंग के पकड़े जाने के बाद पुलिस, प्रशासन व ड्रग्स विभाग भी सक्रिय हो गया है। इंजेक्शन बेचने वाले गैंग अब तीनों डिपार्टमेंट की रडार पर आ गए हैं।अस्पताल के अलावा मिलने वाला इंजेक्शन हो सकता है नकलीड्रग्स इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि एक्टेमरा इंजेक्शन केवल मंडलायुक्त के आदेश पर अस्पताल को मिल रहा है, जबकि रेमडेसिविर इंजेक्शन सीएफए के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूटर केवल अस्पतालों को पहुंचा रहे हैं। छह कंपनियां रेमडेसिविर बना रही हैं, इंजेक्शन का बिल भी दे रही हैं। रिटेलर को भी यह इंजेक्शन नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बाजार में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। मार्केट में जो भी बिना बिल के मार्केट में जो लोग इंजेक्शन बेच रहे हैं वे नकली हो सकते हैं।राजकीय प्रयोगशाला लखनऊ में होगी इंजेक्शन की टेस्टिंगड्रग्स इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि जो इंजेक्शन पुलिस ने पकड़े हैं, वे अभी उन्हें नहीं मिले हैं। सीज हुए इंजेक्शन पुलिस से मिलने के बाद टेस्टिंग के लिए लखनऊ स्थित राजकीय प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद ही इंजेक्शन के नकली और असली होने का पता चल सकेगा।