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Noida News: ब्लैक में 35 से 40 हजार रुपये में खरीदे इंजेक्शन, वो भी नकली, कैसे बचेगी मरीज की जान

अभिषेक त्यागी, नोएडा अगर आप लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर या फिर अन्य कोई इंजेक्शन खरीद रहे हैं तो खरीदने के बाद उसकी जांच अवश्य करा लें। आपके द्वारा खरीदा गया इंजेक्शन नकली भी हो सकता है। महज 900 रुपये कीमत का इंजेक्शन कालाबाजारी में 35 से 40 हजार में खरीदने के बावजूद भी नकली मिल रहा है। ऐसे में ये नकली इंजेक्शन मरीज की जान के लिए खतरा बन सकता है। नोएडा पुलिस ने एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश‌ किया है, जो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार कर मार्केट में बेच रहे थे। न्युमोनिया की बीमारी को ठीक करने में काम आने वाले इंजेक्शन के पाउडर से यह इंजेक्शन तैयार होता था। दरअसल इन दिनों कोरोना के चलते लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, एक्टेमरा आदि की ज्यादा डिमांड है, लेकिन ये इंजेक्शन इन दिनों ढ़ूंढे से भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इन दिनों नकली लाइफ सेविंग इंजेक्शन बनाने वाले गैंग सक्रिय हो गए हैं।कालाबाजारी और ठगी के बाद अब नकली इंजेक्शन अब तक लाइफ सेविंग इंजेक्शन रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, एक्टेमरा आदि की या तो कालाबाजारी हो रही थी, या फिर इंजेक्शन के नाम पर ठगी हो रही थी, लेकिन अब मार्केट में नकली इंजेक्शन बेचने वाले गैंग के पकड़े जाने के बाद पुलिस, प्रशासन और ड्रग्स विभाग भी सक्रिय हो गया है। इंजेक्शन बेचने वाले गैंग अब तीनों डिपार्टमेंट की रडार पर आ गए हैं।अस्पताल के अलावा मिलने वाला इंजेक्शन हो सकता है नकली ड्रग्स इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि एक्टेमरा इंजेक्शन केवल मंडलायुक्त के आदेश पर अस्पताल को मिल रहा है, जबकि रेमडेसिविर इंजेक्शन सीएफए के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूटर केवल अस्पतालों को पहुंचा रहे हैं। छह कंपनियां रेमडेसिविर बना रही हैं, इंजेक्शन का बिल भी दे रही हैं। रिटेलर को भी यह इंजेक्शन नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बाजार में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। मार्केट में जो भी बिना बिल के मार्केट में जो लोग इंजेक्शन बेच रहे हैं वे नकली हो सकते हैं।राजकीय प्रयोगशाला लखनऊ में होगी इंजेक्शन की टेस्टिंग ड्रग्स इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि जो इंजेक्शन पुलिस ने पकड़े हैं, वे अभी उन्हें नहीं मिले हैं। सीज हुए इंजेक्शन पुलिस से मिलने के बाद टेस्टिंग के लिए लखनऊ स्थित राजकीय प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद ही इंजेक्शन के नकली और असली होने का पता चल सकेगा।