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बाराबंकी में गिरा दी गई 100 साल पुरानी मस्जिद? जानिए पूरा सच

जितेंद्र कुमार मौर्य, बाराबंकीउत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जिला प्रशासन ने तहसील रामसनेहीघाट परिसर में बने विवादित स्थल को जेसीबी से तुड़वा कर मलबा हटाने पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और समाजवादी पार्टी ने प्रशासन की कार्रवाई को गलत बताते हुए सवाल खड़े किए हैं। दावा किया जा रहा है कि यहां 100 साल पुरानी मस्जिद बनी थी, जिसको लॉकडाउन में प्रशासन ने भारी फोर्स के साथ तुड़वा कर मलबा नदी में फेंकवा दिया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि दशकों से तहसील वाली मस्जिद के नाम दर्ज है। वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने विवादित स्थल को हटाए जाने की घटना को निंदनीय बताया है और हाई कार्ट के सिटिंग जज से जांच करा कर पुनः निर्माण कराने की मांग की है।बिहार और बंगाल के कुछ संदिग्ध रह रहे थेदरअसल, रामसनेहीघाट तहसील परिसर में बने एसडीएम दिव्यांशु पटेल के सरकारी आवास के सामने बने तीन कमरों में बिहार और बंगाल के रह रहे कुछ संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई और आईडी मांगने पर वो मौके से फरार हो गए थे। इस पर 18 मार्च को दिव्यांशु पटेल ने तहसील में लगे धार्मिक स्थल के गेट को हटवा बाउंड्री बनाकर अपने कब्जे में ले लिया था। हुआ था बवालतहसील प्रशासन की ओर से धार्मिक स्थल में रहने वालों को नोटिस मिलने के बाद पक्षकार हाई कोर्ट की शरण में भी गए थे। रिट संख्या-7948/21 में हाई कोर्ट ने मस्जिद गरीब नवाज अल मारूफ के खसरा पेपर और सुन्नी वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने का प्रमाण 15 दिन के अंदर प्रशासन को देने का आदेश दिया था। इस बीच प्रशासन ने विवादित स्थल में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इस पर 19 मार्च को काफी बवाल होने के बाद रामसनेहीघाट कोतवाली पुलिस ने 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर 39 लोगों को जेल भेजा था। इसके बाद 17 मई को प्रशासन ने धारा 133 के तहत विवादित स्थल को प्रशासन ने अपनी निगरानी में तुड़वा कर मलबा साफ करा दिया।तहसील परिसर में बना आवासीय परिसर अवैध है: DMबाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह का कहना है कि पक्षकारों को सूचना के लिए 15 मार्च को नोटिस दिया गया था। नोटिस मिलते ही अवैध आवासीय परिसर में रह रहे लोग फरार हो गए थे। जिस पर सुरक्षा को देखते हुए 18 मार्च को उसे तहसील टीम द्वारा कब्जे में ले लिया गया था। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल रिट संख्या 7948/21 में पक्षकारों का प्रत्यावेदन निस्तारित करने पर यह तथ्य सामने आया कि तहसील परिसर में बना आवासीय परिसर अवैध है। जिस पर न्यायिक प्रक्रिया के तहत जिसका अनुपालन 17 मई को करा दिया गया।सुन्नी वक्फ बोर्ड की हाईकार्ट में चुनौतीउत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध बताया है और इसे हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।समाजवादी पार्टी का हमलासमाजवादी पार्टी (एसपी) मुखिया अखिलेश यादव ने पत्र जारी कर बयान दिया है कि सौ वर्ष पुरानी मस्जिद तोड़ना निंदनीय घटना है। शासन-प्रशासन द्वारा यह कृत्य भारतीय संविधान के सामाजिक सद्भाव अवधारणा के विरुद्ध है। यूपी में चुनाव निकट आते ही देख बीजेपी साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने में सक्रिय हो गई है। अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार और प्रशासन को घेरने के लिए एसपी की ओर से 9 सदस्यीय टीम बनाई है। जिसमें मुख्य रूप से पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप, राकेश वर्मा, पूर्व मंत्री फरीद मेहफूज किदवाई, पूर्व सांसद राम सागर रावत शामिल हैं, जो बाराबंकी भी जाएंगे और इस मामले पर लगातार अपनी नजर भी रखेंगे।पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप ने बताया कि 100 साल पुरानी मस्जिद को गिराने की घटना बहुत ही निंदनीय है। एसपी प्रमुख के आदेश पर जिलाधिकारी से वार्ता करने के लिए समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल जाएगा और जो भी अधिकारी दोषी हो उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी।