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कोरोना के तूफान में तिनकों की तरह उड़ीं जिंदगियां

नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों की गवाही, पिछले साल के मुकाबले अप्रैल में इस बार तीन गुना से ज्यादा और मई में छह गुना मौतों का औसतअब भी घटी नहीं आवेदनों की रफ्तार, 70 से ज्यादा आवेदन लंबित
बरेली। कोरोना ने पिछले कुछ महीनों में सिर्फ बरेली शहर में ही किस कदर हाहाकार मचाया, नगर निगम की ओर से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र के आंकड़े काफी हद तक इसकी गवाही दे रहे हैं। वैसे तो इन आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से ही शहर में मृत्यु दर बढ़ने लगी थी लेकिन अप्रैल तक आते-आते उसने कई सालों के रिकॉर्ड को मीलों पीछे छोड़ दिया। मई के महीने में तो पिछले साल के मुकाबले मृत्यु दर करीब छह गुना तक बढ़ गई। गंभीर स्थिति यह है कि अब भी यह रफ्तार घटी नहीं है।
कोरोना की आंधी कितनी जिंदगियों बेवक्त ही उड़ा ले गई, इसके सही आंकड़े का अंदाजा लगाना मुश्किल है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के खाते में कोरोना की शुरुआत से अब तक मौतों का आंकड़ा कुछ तीन सौ के आसपास तक ही गिनती पर सीमित है लेकिन नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज मृत्यु के आंकड़े भयावह हैं। हालात का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी से अब तक नगर निगम पांच हजार से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर चुका है। यह संख्या पिछले साल की तुलना में कई गुना ज्यादा है। अब भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की दैनिक औसत कम नहीं हुआ है।
नगर निगम का रिकॉर्ड बताता है कि वर्ष 2021 में शहर में सर्वाधिक मौतें मई के महीने में हुई हैं। इस महीने के सिर्फ 18 दिनों में ही निगम 1432 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर चुका है। पिछले साल मई में सिर्फ 402 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए थे, हालांकि तब भी कोरोना का दौर चल रहा था। अगर पूरे महीने के औसत के आधार पर तुलना की जाए तो पिछले साल के मुकाबले यह संख्या छह गुना ज्यादा है। इसी तरह अप्रैल में इस बार 1034 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं जबकि पिछले साल अप्रैल में 297 प्रमाण पत्र जारी हुए थे। यानी अप्रैल में भी इस बार करीब साढ़े तीन गुना मौतें हुईं।
नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में तैनात ऑपरेटर मुकेश खन्ना के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ा है। मई में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए किए गए 70 से ज्यादा आवेदन अभी लंबित है। कुछ आवेदनों में कागज की कमी है और कुछ पर जांच पूरी नहीं हो पाई है। मुकेश खन्ना ने बताया कि इस समय ऑफलाइन आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। मृतकों के परिवार के लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए नगर निगम की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
बढ़ा काम, पहले तीन दिन में ही दे देते थे प्रमाणपत्र, अब सात दिन में
सामान्य स्थिति में नगर निगम की ओर से आवेदन होने के बाद अधिकतम तीन दिन में ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता था लेकिन आवेदनों की संख्या कई गुना बढ़ जाने से अब यह मुमकिन नहीं रहा है। अब प्रमाण पत्र जारी करने में पांच दिन से लेकर एक सप्ताह तक लग रहा है। नगर निगम के मुताबिक शहरी सीमा में आने वाले श्मशान घाटों पर नगर निगम का स्टाफ तैनात है जो रजिस्टर में विवरण दर्ज कर मृतकों के परिजन को एक पर्ची भी देता है। यही पर्ची दिखाने पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ ऑनलाइन मृत्यु प्रमाणपत्र जनरेट करता है। कुछ लोगों ने श्मशान घाट पर यह पर्ची लेने का ध्यान नहीं रखा। ऐसे मामलों में जांच करानी पड़ रही है और ज्यादा समय लग रहा है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे श्मशान घाट पर पर्ची जरूर लें।
जन्म का हिसाब रखने की फुर्सत नहीं आवेदन प्रक्रिया पर फिलहाल रोक
नगर आयुक्त अभिषेक आनंद ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लोगों से ऑनलाइन आवेदन ही करने की अपील की गई है ताकि कोरोना के दौर में कोविड नियमों का भी पालन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अधिकतर लोग आवेदन करते हैं क्योंकि इसी के जरिए एक्सीडेंटल क्लेम, विधवा पेंशन और बीमा जैसी सुविधाओं का लाभ मिल जाता है। कोरोना महामारी में लोगों की हालत पहले ही खराब हो चुकी है।
नगर निगम की सीमा के गांवों और रामगंगा घाट पर हुई अंत्येष्टियों का हिसाब नहीं
नगर निगम के इन आंकड़ों को बानगी ही माना जाए तो ज्यादा उपयुक्त रहेगा। इन आंकड़ों में रामगंगा घाट पर हुए सैकड़ों अंतिम संस्कार के साथ उन तमाम मौतों का भी हिसाब शामिल नहीं है जो आसपास के गांवों में हुईं और मृतकों का अंतिम संस्कार भी वहीं कर दिया गया। इसके अलावा गरीब और मजदूर की श्रेणी में आने वाले मृतकों के आंकड़े भी इनमें शामिल न होने की आशंका है।
हाल के दिनों में रामगंगा घाट पर सैकड़ों की तादाद में अंतिम संस्कार हुए हैं। घाट के हालात अब भी इसकी गवाही दे रहे हैं। अंतिम संस्कारों के बाद चिताओं के निशान हाल ही में आए जलजले के सबूत बनकर घाट पर चस्पा हैं। हालांकि शहर के भी तमाम लोगों ने रामगंगा घाट पर जाकर अंतिम संस्कार किए हैं। रामगंगा घाट पर इन दिनों में कितनी चिताएं जल गईं, इनमें कितनी गांव और कितनी शहर की थीं, इसका कोई रिकार्ड न नगर निगम के पास है और न जिला प्रशासन के पास।
इसी तरह तमाम अंतिम संस्कार गांवों में भी हुए हैं। काफी लोगों ने शवों को गंगा घाट लाने के बजाय मृत्यु के बाद गांव के किनारे या खेतों में उनका अंतिम संस्कार कर दिया। ऐसे आंकड़ों का भी प्रशासन के पास कोई हिसाब नहीं है।
ऐसे लगाएं कोरोना के तांडव का अंदाजा
महीना वर्ष 2020 वर्ष 2021
जनवरी 759 967
फरवरी 772 871
मार्च 550 728
अप्रैल 297 1034
मई 402 1423

स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक आंकड़े, मई 2021 में सिर्फ 18 दिन का आंकड़ा, इस महीने में करीब 70 आवेदन लंबित भी हैं।

नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों की गवाही, पिछले साल के मुकाबले अप्रैल में इस बार तीन गुना से ज्यादा और मई में छह गुना मौतों का औसत

अब भी घटी नहीं आवेदनों की रफ्तार, 70 से ज्यादा आवेदन लंबित
बरेली। कोरोना ने पिछले कुछ महीनों में सिर्फ बरेली शहर में ही किस कदर हाहाकार मचाया, नगर निगम की ओर से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र के आंकड़े काफी हद तक इसकी गवाही दे रहे हैं। वैसे तो इन आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से ही शहर में मृत्यु दर बढ़ने लगी थी लेकिन अप्रैल तक आते-आते उसने कई सालों के रिकॉर्ड को मीलों पीछे छोड़ दिया। मई के महीने में तो पिछले साल के मुकाबले मृत्यु दर करीब छह गुना तक बढ़ गई। गंभीर स्थिति यह है कि अब भी यह रफ्तार घटी नहीं है।

कोरोना की आंधी कितनी जिंदगियों बेवक्त ही उड़ा ले गई, इसके सही आंकड़े का अंदाजा लगाना मुश्किल है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के खाते में कोरोना की शुरुआत से अब तक मौतों का आंकड़ा कुछ तीन सौ के आसपास तक ही गिनती पर सीमित है लेकिन नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज मृत्यु के आंकड़े भयावह हैं। हालात का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी से अब तक नगर निगम पांच हजार से ज्यादा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर चुका है। यह संख्या पिछले साल की तुलना में कई गुना ज्यादा है। अब भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की दैनिक औसत कम नहीं हुआ है।

नगर निगम का रिकॉर्ड बताता है कि वर्ष 2021 में शहर में सर्वाधिक मौतें मई के महीने में हुई हैं। इस महीने के सिर्फ 18 दिनों में ही निगम 1432 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर चुका है। पिछले साल मई में सिर्फ 402 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए थे, हालांकि तब भी कोरोना का दौर चल रहा था। अगर पूरे महीने के औसत के आधार पर तुलना की जाए तो पिछले साल के मुकाबले यह संख्या छह गुना ज्यादा है। इसी तरह अप्रैल में इस बार 1034 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं जबकि पिछले साल अप्रैल में 297 प्रमाण पत्र जारी हुए थे। यानी अप्रैल में भी इस बार करीब साढ़े तीन गुना मौतें हुईं।

नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में तैनात ऑपरेटर मुकेश खन्ना के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ा है। मई में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए किए गए 70 से ज्यादा आवेदन अभी लंबित है। कुछ आवेदनों में कागज की कमी है और कुछ पर जांच पूरी नहीं हो पाई है। मुकेश खन्ना ने बताया कि इस समय ऑफलाइन आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। मृतकों के परिवार के लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए नगर निगम की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
बढ़ा काम, पहले तीन दिन में ही दे देते थे प्रमाणपत्र, अब सात दिन में
सामान्य स्थिति में नगर निगम की ओर से आवेदन होने के बाद अधिकतम तीन दिन में ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता था लेकिन आवेदनों की संख्या कई गुना बढ़ जाने से अब यह मुमकिन नहीं रहा है। अब प्रमाण पत्र जारी करने में पांच दिन से लेकर एक सप्ताह तक लग रहा है। नगर निगम के मुताबिक शहरी सीमा में आने वाले श्मशान घाटों पर नगर निगम का स्टाफ तैनात है जो रजिस्टर में विवरण दर्ज कर मृतकों के परिजन को एक पर्ची भी देता है। यही पर्ची दिखाने पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ ऑनलाइन मृत्यु प्रमाणपत्र जनरेट करता है। कुछ लोगों ने श्मशान घाट पर यह पर्ची लेने का ध्यान नहीं रखा। ऐसे मामलों में जांच करानी पड़ रही है और ज्यादा समय लग रहा है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे श्मशान घाट पर पर्ची जरूर लें।

जन्म का हिसाब रखने की फुर्सत नहीं आवेदन प्रक्रिया पर फिलहाल रोक
नगर आयुक्त अभिषेक आनंद ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लोगों से ऑनलाइन आवेदन ही करने की अपील की गई है ताकि कोरोना के दौर में कोविड नियमों का भी पालन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अधिकतर लोग आवेदन करते हैं क्योंकि इसी के जरिए एक्सीडेंटल क्लेम, विधवा पेंशन और बीमा जैसी सुविधाओं का लाभ मिल जाता है। कोरोना महामारी में लोगों की हालत पहले ही खराब हो चुकी है।

नगर निगम की सीमा के गांवों और रामगंगा घाट पर हुई अंत्येष्टियों का हिसाब नहीं
नगर निगम के इन आंकड़ों को बानगी ही माना जाए तो ज्यादा उपयुक्त रहेगा। इन आंकड़ों में रामगंगा घाट पर हुए सैकड़ों अंतिम संस्कार के साथ उन तमाम मौतों का भी हिसाब शामिल नहीं है जो आसपास के गांवों में हुईं और मृतकों का अंतिम संस्कार भी वहीं कर दिया गया। इसके अलावा गरीब और मजदूर की श्रेणी में आने वाले मृतकों के आंकड़े भी इनमें शामिल न होने की आशंका है।

हाल के दिनों में रामगंगा घाट पर सैकड़ों की तादाद में अंतिम संस्कार हुए हैं। घाट के हालात अब भी इसकी गवाही दे रहे हैं। अंतिम संस्कारों के बाद चिताओं के निशान हाल ही में आए जलजले के सबूत बनकर घाट पर चस्पा हैं। हालांकि शहर के भी तमाम लोगों ने रामगंगा घाट पर जाकर अंतिम संस्कार किए हैं। रामगंगा घाट पर इन दिनों में कितनी चिताएं जल गईं, इनमें कितनी गांव और कितनी शहर की थीं, इसका कोई रिकार्ड न नगर निगम के पास है और न जिला प्रशासन के पास।

इसी तरह तमाम अंतिम संस्कार गांवों में भी हुए हैं। काफी लोगों ने शवों को गंगा घाट लाने के बजाय मृत्यु के बाद गांव के किनारे या खेतों में उनका अंतिम संस्कार कर दिया। ऐसे आंकड़ों का भी प्रशासन के पास कोई हिसाब नहीं है।
ऐसे लगाएं कोरोना के तांडव का अंदाजा
महीना वर्ष 2020 वर्ष 2021
जनवरी 759 967

फरवरी 772 871
मार्च 550 728
अप्रैल 297 1034
मई 402 1423

स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक आंकड़े, मई 2021 में सिर्फ 18 दिन का आंकड़ा, इस महीने में करीब 70 आवेदन लंबित भी हैं।